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देश के इकलौते दृष्टिबाधितार्थ संस्थान में 'गंदा' काम, 11 साल के छात्र से किया गया कुकर्म

देहरादून में राजपुर रोड स्थित देश के पहले और इकलौते दृष्टिबाधितार्थ संस्थान में 11 साल के छात्र के साथ कुकर्म किये जाने की घटना सामने आई है.

Updated on: 16 Sep 2019, 02:57 PM

देहरादून:

देहरादून में राजपुर रोड स्थित देश के पहले और इकलौते दृष्टिबाधितार्थ संस्थान में 11 साल के छात्र के साथ कुकर्म किये जाने की घटना सामने आई है. घटना को अंजाम देने वाला 16 वर्षीय आरोपी छात्र भी इसी संस्थान का विद्यार्थी है. पीड़ित कक्षा छह में पढ़ता है. फिलहाल पीड़ित छात्र की शिकायत के आधार पर संस्थान की प्रिंसिपल ने आरोपी छात्र को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया है. नाबालिग होने के कारण उसे संस्थान में ही एक अलग कमरे में 'नजरबंद' करके रखा गया है. इस सिलसिले में देहरादून पुलिस ने रविवार और सोमवार को भी कई स्थानों पर छापेमारी की है.

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उत्तराखंड के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) अशोक कुमार ने आईएएनएस को यह जानकारी दी है. घटना दो सितंबर की बताई जा रही है. इस सिलसिले में पीड़ित ने जब संस्थान से शिकायत की, तो दो दिन तक आंतरिक जांच-पड़ताल की जाती रही. उसके बाद छह सितंबर को संस्थान की प्रिंसिपल दीपिका माथुर पीड़ित छात्र के साथ देहरादून के राजपुर मार्ग थाना में पहुंची. देहरादून की पुलिस अधीक्षक (नगर) श्वेता चौबे ने बताया कि घटना चूंकि देश के इकलौते और बड़े संस्थान में घटी थी, और आरोपी तथा पीड़ित दोनों ही नाबालिग थे. आरोप मगर गंभीर थे, इसलिए पूरे मामले की जांच इत्मिनान से करने के बाद ही हमने आरोपी को पकड़ा.

राजपुर मार्ग के थाना प्रभारी अशोक राठौड़ ने बताया कि सब-इंस्पेक्टर आरती कलूड़ा इलाके की बीट अफसर और संस्थान की सुरक्षा नोडल अफसर थीं, इसलिए घटना की जांच की जिम्मेदारी आरती को दी गई. घटनास्थल चूंकि भारत सरकार का दृष्टिबाधितों की मदद के लिए स्थापित इकलौता, पहला और सबसे बड़ा संस्थान था, इसलिए कुकर्म की घटना की पड़ताल में भी देहरादून पुलिस को फूंक-फूंक कर कदम रखना पड़ रहा था. अशोक कुमार के मुताबिक, 'इन्हीं तमाम वजहों के चलते जांच में जल्दी नहीं की गई. हां, हमने संस्थान के उच्चाधिकारियों को आरोपी को संस्थान से बाहर न निकलने देने की हिदायत जरुर दे रखी थी.'

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श्वेता चौबे ने बताया कि आरोपी की उम्र 16 साल है और 11वीं का छात्र है. मूलत: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का निवासी आरोपी 10-11 साल से संस्थान में पढ़ रहा है, जबकि पीड़ित छात्र कक्षा छह का विद्यार्थी उत्तर प्रदेश के बरेली जिले का रहने वाला है. पीड़ित छात्र की आर्थिक स्थिति भी काफी कमजोर है. अशोक राठौड़ ने बताया कि पीड़ित छात्र पूर्ण रुप से नेत्रहीन है, जबकि आरोपी छात्र को ना के बराबर ही दिखाई पड़ता है. आरोपी को देर से पकड़े जाने की वजह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'मामला संवेदनशील था, दोनो नाबालिग हैं. पुलिस की भूमिका इसमें बहुत कम या यूं कहिये कि, बस छानबीन तक सीमित थी. इसी के चलते देर हुई और 12 सितंबर को आरोपी को पकड़कर जुवीनाइल जस्टिस कोर्ट में पेश किया गया. वहां से निर्देश मिला तो आरोपी को उसी के संस्थान में नजरबंद कर दिया गया है. आरोपी को एक अलग कमरे में रखा गया है, ताकि जांच चलने तक वो किसी और से न मिल सके.'

क्या इस तरह के और भी मामले पहले प्रकाश में आते रहे हैं? यह पूछने पर श्वेता चौबे ने कहा, 'पहले ऐसा कुछ नहीं सामने आया था. हां अब इस मामले के सामने आने के बाद संस्थान और पुलिस दोनो गंभीरता से जांच-परख रहे हैं कि, कहीं इससे पहले भी तो संस्थान में इस तरह की घटनाएं न घटती रही हों. अभी जांच बंद नहीं की गई है. पुलिस और राष्ट्रीय दृष्टिबाधित संस्थान दोनों ने ही जांच जारी रखी है.' उधर संस्थान की प्रधानाचार्या और मामले की शिकायतकर्ता दीपिका माथुर ने कहा, 'हां ऐसा हुआ है. घटना के बारे में पता चलते ही पहले संस्थान ने उसकी आंतरिक जांच की. घटना सही पाए जाने पर मैंने पीड़ित छात्र के बयान पर पुलिस को शिकायत देकर आईपीसी की धारा 377 (कुकर्म) के तहत राजपुर मार्ग थाने में आपराधिक मामला दर्ज करवा दिया गया.'

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देश के इतने बड़े संस्थान में ऐसी घटना से क्या उसकी छवि धूमिल नहीं होगी? पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'घटना के बाद उसमें सही कानूनी कदम उठाया गया है. आरोपी को पकड़ लिया गया है. जुविनाइल जस्टिस की अदालत में मामला है. संस्थान ने इस पूरे मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन भी कर दिया है.' इस तरह की घटनाएं पहले भी संस्थान में घटती रहीं थीं मगर उन्हें दबा दिया गया? के जबाब में संस्थान की प्रधानाचार्या ने कहा कि नहीं अभी तक तो ऐसी किसी और घटना के घटने का तो पता नहीं चला है.

उल्लेखनीय है कि, 1990 के दशक में भारत सरकार द्वारा दृष्टिबाधितों के हित के लिए इस संस्थान की स्थापना की गयी थी. यह संस्थान देश में अपने आप में यह अनूठा और इकलौता संस्थान है. यहां ²दृष्टिबाधित बच्चों के लिए स्कूल, छात्रावास, ब्रेल पुस्तकालय, ध्वन्यांकित पुस्तकालय और कॉलेज है. इस संस्थान के कर्मचारी भी इसी के अंदर रहते हैं. अगर यह माना जाए कि ²दृष्टिबाधितों की यहां चलती-फिरती अपनी अलग दुनिया है तो गलत नहीं होगा. इस घटना ने मगर इसकी छवि को नुकसान पहुंचाया है. घटना को लेकर फिलहाल हड़कंप मचा हुआ है. संस्थान के निदेशक और प्रिंसिपल को इस बात की चिंता है कि कहीं इसी तरह की कोई और घटना निकल कर सामने न आ जाए.