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उत्तराखंड हाई कोर्ट ने CBI को हरीश रावत के खिलाफ चार्जशीट दायर ना करने के दिए निर्देश

2 मार्च को होगी अगली सुनवाई

Updated on: 07 Jan 2020, 04:26 PM

देहरादून:

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को निर्देश दिया कि वह उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ स्टिंग वीडियो 2016 के मामले में उसकी अनुमति के बिना चार्जशीट दायर न करे. 2 मार्च को होगी अगली सुनवाई. वहीं इससे पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले में सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने की छूट देने के बाद सीबीआई ने इस मामले में हरीश रावत सहित तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. सीबीआई ने हरीश रावत, हरक सिंह रावत और समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र रचने की धाराओं में मामला दर्ज किया था.

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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को इस मामले में सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने की छूट दे दी थी. इसके बाद हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ गई थीं. सीबीआई ने तीनों के खिलाफ आपराधिक षणयंत्र की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया था. 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत के नेतृत्व में 9 कांग्रेस विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर दी थी. इसके बाद केंद्र सरकार ने हरीश रावत सरकार को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था. हरीश रावत हाईकोर्ट गए थे जहां से उनकी सरकार बहाल हुई थी. इस दौरान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के एक निजी चैनल के मालिक ने हरीश रावत का स्टिंग किया था जिसमें हरीश रावत विधायकों की खरीद-फरोख़्त की बात करते दिखाई दिए थे.


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इसी स्टिंग के आधार पर तत्कालीन राज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफ़ारिश की थी. सरकार बहाल होने के बाद हरीश रावत ने इस केस की जांच सीबीआई के बजाय एसआईटी से करवाने की सिफारिश की थी, लेकिन यह मामला सीबीआई के पास ही रहा. इसके बाद हरीश रावत गिरफ़्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट की शरण में चले गए थे और हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया था कि कोई भी कार्रवाई करने से पहले वह कोर्ट से अनुमति ले. तीन सितंबर को सीबीआई ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी थी कि उसने इस केस की जांच पूरी कर ली थी और वह जल्द ही इस मामले में एफ़आईआर दर्ज करना चाहती थी.