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उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा तेज, इन्हें मिल सकता है मंत्रीपद

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा हाल में उत्तराखंड सरकार के मंत्रिमंडल में संभावित विस्तार के बारे में संकेत दिये जाने के बाद एक बार फिर लगभग दो दर्जन दावेदारों में मंत्री पद पाने की उम्मीद जग गयी है.

Updated on: 14 Jan 2020, 05:22 PM

देहरादून:

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा हाल में उत्तराखंड सरकार के मंत्रिमंडल में संभावित विस्तार के बारे में संकेत दिये जाने के बाद एक बार फिर लगभग दो दर्जन दावेदारों में मंत्री पद पाने की उम्मीद जग गयी है. तीन साल पहले 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में जबरदस्त बहुमत से सत्ता में आयी भाजपा सरकार में केवल दस सदस्यीय मंत्रिमंडल को ही शपथ दिलायी गयी थी जबकि उत्तराखंड में अधिकतम 12 मंत्री हो सकते हैं. राज्य मंत्रिमंडल में रिक्त ये दो स्थान उसके बाद कभी भरे ही नहीं गये.

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पिछले साल जून में प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्रालय सहित कई अहम विभाग संभाल रहे प्रकाश पंत का निधन हो जाने के बाद मंत्रिमंडल के रिक्त पदों की संख्या बढ़कर तीन हो गयी. पंत के अचानक निधन के बाद मंत्रिमंडल के रिक्त पदों को भरे जाने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया लेकिन शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को संसदीय कार्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी दिये जाने के बाद इन चर्चाओं ने भी दम तोड़ दिया. हालांकि इस बारे में अटकलों ने फिर से जोर पकड़ लिया है. हाल में मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि मंत्रिमंडल में रिक्त पड़े स्थानों को भरे जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है क्योंकि हर मंत्री बहुत सारे विभागों की जिम्मेदारी संभालने के कारण बहुत बोझ उठा रहा है.

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मंत्रिमंडल में रिक्त तीन स्थानों के लिये करीब दो दर्जन दावेदारों के नाम चर्चाओं में चल रहे हैं. पूर्व में मंत्री रह चुके चार विधायकों को उनके अनुभव के चलते सबसे मजबूत दावेदारों में गिना जा रहा है. इनमें हरबंस कपूर, बिशन सिंह चुफाल, बंशीधर भगत और खजान दास हैं. इनके अलावा विधायक मुन्ना सिंह चौहान, सुरेंद्र सिंह जीना, हरभजन सिंह चीमा तथा पुष्कर सिंह धामी को भी मंत्री पद की दौड़ में माना जा रहा है. हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर तीनों रिक्त पदों को भरा जायेगा तो क्षेत्रीय संतुलन भी एक निर्णायक कारक होगा. उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के मंत्रिमंडल में शामिल नौ मंत्रियों में से छह गढ़वाल क्षेत्र के होने के कारण अब कुमाऊ क्षेत्र से आने वाले विधायकों का दावा ज्यादा मजबूत होगा.