योगी सरकार जल्द कर सकती है मंत्रिमंडल विस्तार, स्वतंत्र देव सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद चर्चाएं तेज
पार्टी सूत्रों की मानें तो विधानमंडल सत्र के बाद योगी सरकार का पहला विस्तार हो सकता है.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार होने के संकेत मिल रहे हैं. स्वतंत्र देव के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा तेज हो गई है. पार्टी सूत्रों की मानें तो विधानमंडल सत्र के बाद योगी सरकार का पहला विस्तार हो सकता है. दो दिनों पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली गए थे. यहां अमित शाह के घर पर बैठक हुई. भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष भी मौजूद रहे. इस बैठक में उप्र मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर चर्चा हुई है. इस विस्तार में किसका नाम बढ़ाना है और किसका पत्ता कटा, इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा.
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लोकसभा चुनाव में मंत्रियों की भूमिका देखते हुए विस्तार में कुछ राज्य मंत्रियों को तरक्की देकर कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है. वहीं कैबिनेट मंत्रियों के विभागों में भी बदलाव कर कुछ का कद बढ़ाया जा सकता है. विस्तार में कुछ नए चेहरों को भी मौका मिलना तय है. प्रदेश में अधिकतम 60 सदस्यीय मंत्रिमंडल बनाया जा सकता है. मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बनी सरकार में मुख्यमंत्री सहित 47 मंत्रियों ने शपथ ली थी. इस ढंग से देखा जाए तो मंत्रिमंडल में 13 स्थान पहले से ही खाली थे.
इसके अलावा ओमप्रकाश राजभर को बर्खास्त किया जा चुका है, जबकि रीता बहुगुणा जोशी, सत्यदेव पचौरी व एसपी सिंह बघेल सांसद निर्वाचित होने के बाद मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे चुके हैं. स्वतंत्रदेव सिंह को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उनका त्यागपत्र देना भी तय है. भाजपा में एक पद, एक व्यक्ति का सिद्घांत लागू होगा. स्वतंत्रदेव के त्यागपत्र देने के बाद मौजूदा मंत्रिमंडल में पांच स्थान खाली हो जाएंगे. सूत्रों के अनुसार विस्तार में सभी क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व देकर सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण दुरुस्त किए जाएंगे. रिक्त हुए पांच स्थानों सहित 10-12 लोगों को मंत्री बनाया जा सकता है.
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भाजपा के सूत्र बताते हैं कि इस बार के विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का ख्याल रखा जाएगा. पिछली बार अकेले लखनऊ से ही उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा समेत 5 लोग मंत्रिमंडल में रखे गए. किसी गुर्जर नेता को मंत्री नहीं बनाया गया. संगठन में अच्छा काम करने वाले दो-तीन नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. इसके साथ ही जिन मंत्रियों का प्रदर्शन अच्छा नहीं है उन्हें बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है.
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