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योगी आदित्यनाथ सरकार ने मंत्री के निजी सचिवों के लिए जारी किया बड़ा आदेश, जानें क्या

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है. मुख्यमंत्री ने लगातार 5 साल से मंत्रियों के साथ तैनात कर्मचारियों को हटाने के निर्देश दिए हैं.

Updated on: 09 Jul 2019, 02:54 PM

highlights

  • किसी मंत्री के साथ 5 साल से ज्यादा नहीं रहेगा कोई कर्मचारी
  • मंत्री के निजी सचिव का स्टिंग वायरल होने के बाद हुई कार्रवाई
  • सचिवालय प्रशासन विभाग ने जारी किया शासनादेश

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है. मुख्यमंत्री ने लगातार 5 साल से मंत्रियों के साथ तैनात कर्मचारियों को हटाने के निर्देश दिए हैं. इसमें मंत्रियों के निजी सचिव, अपर निजी सचिव और अन्य कर्मचारी शामिल हैं. सचिवालय प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया है.

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शासन ने यह कदम कुछ दिनों पूर्व एक स्टिंग में कुछ निजी सचिवों का नाम आने के बाद उठाया है. आदेश के मुताबिक मंत्री यदि फिर से मंत्री बनते हैं तो पूर्व के कार्यकाल में उनके साथ तैनात रहे अधिकारी/कर्मचारी फिर से उन्हें नहीं मिलेंगे. गुप्ता के मुताबिक भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने यह फैसला लिया है.

निजी सचिव, अपर निजी सचिव, B और C ग्रेड के कर्मचारियों की तैनाती की सीमा तय की गई है. नई व्यवस्था में ऐसे कर्मचारी और अधिकारी मंत्री के साथ अधिकतम 5 साल रह सकेंगे.

200 से ज्यादा अधिकारियों पर हो चुकी है कार्रवाई

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति पर सख्ती से अमल करते भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है. दो साल के भीतर अब तक 600 से ज्यादा अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है. इनमें से 200 अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट दिया गया. वहीं 400 से ज्यादा अधिकारियों को बृहद दंड दिया गया है.

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यूपी सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा के मुताबिक योगी सरकार ने पिछले 2 सालों में भ्रष्टाचार के खिलाफ जो कार्रवाई की है वह अब तक किसी सरकार ने नहीं की है. उन्होंने बताया कि 100 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी अभी भी सरकार के रडार पर हैं.