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Exclusive: 4 साल के बच्चे के साथ ऐसी दरिंदगी कि फोटो देख कर कांप जाए रूह, दो पुलिस के दो चेहरे भी आए सामने

पति पत्नी और

Updated on: 18 Jul 2019, 12:27 PM

नई दिल्ली:

पति पत्नी और "वो" की नफरत में एक 4 साल के बच्चे के साथ जो हैवानियत भरी वारदात हुई, उसे जानकर किसी की भी रूह कांप सकती हैं. एक युवक अपनी लिव-इन पार्टनर को छोड़कर अपनी पत्नी के पास लौटा तो उसकी पार्टनर बदले की आग में ऐसा जली की उसने युवक के 4 साल के बेटे को बेहद शातिर तरीके से किडनैप करके उसके साथ दरिंदगी की इंतहा कर दी.

आरोप है कि उसने बच्चे के चेहरे पर किसी धारदार हथियार से लगातार वार किए, जिससे बच्चे का चेहरा बुरी तरह बिगड़ गया. उसे खून से लथपथ बेहोशी की हालत में कौशांबी की एक नर्सरी के सुनसान हिस्से में मरा जानकर छोड़ गई. नर्सरी के कर्मचारी को वह बच्चा बेहोशी की हालत में जमीन पर मिला तो पुलिस को सूचना दी.

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बच्चे के चेहरे पर चाकू के कई वार किए गए थे. ताकि उसकी पहचान ना हो सके. गाजियाबाद पुलिस को सूचना मिलने पर कौशांबी चौकी के इंचार्ज शरद शर्मा, दरोगा सौरव सिंह और कॉन्स्टेबल विपिन मौके पर पहुंचे. जब उन्हें पता चला कि बच्चे की सांसे चल रही हैं, तो उसे फौरन नजदीक में स्थित यशोदा अस्पताल ले जाया गया.

अस्पताल प्रशासन को अनुरोध किया की बिल की चिंता किए बिना बच्चे को बेहतर इलाज दें और उसकी जान किसी भी कीमत पर बचाएं. पुलिसकर्मियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस मामले से अवगत करा दिया था. उनके अधिकारियों ने भी कहा था कि बच्चे का बेहतर इलाज कराएं अस्पताल का खर्च वह सभी मिलकर भी अदा कर देंगे.

5 दिन अस्पताल के ICU में भर्ती रहने के बाद बच्चे की हालत में सुधार हुआ. उसके चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी भी की गई. इस मामले में खाकी के दो रूप सामने आए हैं. एक चेहरा दिल्ली पुलिस का है, जिस पर आरोप है कि उन्होंने बच्चे की किडनैपिंग का केस दर्ज करने में देरी की.

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आरोप है कि केस दर्ज करने के बाद बच्चे के परिजनों को ही प्रताड़ित किया गया. आरोपी महिला से जांच अधिकारी ने हमदर्दी जताई और उससे अपनी सांठगांठ करने की कोशिश की. गाजियाबाद पुलिस द्वारा बच्चा मिलने की सूचना दिए जाने के बाद भी इन्वेस्टिगेशन में ढिलाई बरती गई.

दूसरी ओर गाजियाबाद की कौशांबी चौकी के उन पुलिसकर्मियों द्वारा ड्यूटी निभाने के साथ मानवीय चेहरा भी सामने आया है, जिससे न सिर्फ बच्चे को उसके मां-बाप मिले, बल्कि बेहतर से बेहतर इलाज भी मिल सका. किडनैपिंग के बाद अधमरी हालत में मिला यह बच्चा अब बिल्कुल ठीक है.

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गाजियाबाद पुलिस ने केस की यूनिवर्सिटी के क्षण में भी बड़ी मदद की. उस महिला के सीसीटीवी फुटेज कुछ दूरी पर लगे कैमरों से रिकवर करके दिल्ली पुलिस को दिए गए. दरअसल इस मामले में दिल्ली पुलिस के लिए सुराग लगाना इसलिए भी मुश्किल था, क्योंकि महिला ने पुलिस को गुमराह करने की पूरी कोशिश की थी.

वह जींस और टॉप में बच्चे को सुनसान जगह पर छोड़ने गई थी, लेकिन आसपास के सीसीटीवी कैमरों में नजर ना आए इसलिए वापसी में उसने बुर्का पहना हुआ था. उसने अपने पास मोबाइल भी नहीं रखा था. गाजियाबाद पुलिस से मिले सुराग और फुटेज के आधार पर दयालपुर पुलिस ने आरोपी महिला सहाना को गिरफ्तार कर लिया. वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में है. अपहरण की धारा में मकदमा दर्ज हुआ है. इस केस में पुलिस ने हत्या की कोशिश की धारा भी जोड़ दी है.

पूरे मामले पर अदालत की नजर

आलम ने इस मामले की जांच पर अदालत के निरीक्षण की याचिका दाखिल की थी. अदालत ने दिल्ली के दयालपुर थाने के जांच अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इन्वेस्टिगेशन पर रिपोर्ट मांगी है. पीड़ित बच्चे के और उसकी मां के सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज किए गए हैं.

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इस मामले में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि मामला अदालत में विचाराधीन है इसलिए वह ऑन कैमरा कुछ नहीं कह सकते. उन्होंने यह बताया की अदालत के निर्देशानुसार इस मामले में एएसआई से जांच लेकर दयालपुर sho को सौंप दी गई है. साथ ही केस में हत्या की कोशिश की धारा भी ऐड की गई है. महिला न्यायिक हिरासत में जेल में है.

लिव-इन में रहता था बच्चे का पिता

किडनैपिंग और दरिंदगी के शिकार हुए 4 साल के बच्चे का पिता पत्नी और बेटे से अलग होकर दूसरी युवती के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगा था. लेकिन जल्द ही उनके संबंध खराब हो गए. वह वापस अपनी बीवी के पास लौट आया.

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जिसके बाद उसकी लिव इन पार्टनर रही युवती ने उसके ऊपर रेप का केस दर्ज करवा दिया. इस केस में वह बरी हो गया. इसके बाद युवती ने उसके घर जाकर धमकी दी कि वह उसको सबक सिखाएगी. उसके 15 दिन बाद ही बच्चा किडनैप हो गया.

दिल्ली पुलिस पर लगे बेहद गंभीर आरोप

15 मई की दोपहर 4 साल का बच्चा गली में खेलते समय अगवा हुआ था. परिजनों ने उसी दिन उसकी गुमशुदगी की शिकायत दयालपुर थाने में दी, लेकिन 2 दिन बाद यानी 17 मई को आईपीसी की धारा 363 के तहत अपहरण का मुकदमा दर्ज हुआ.

आरोप है कि केस के जांच अधिकारी ने केस दर्ज होने के बाद बच्चे के पिता को ही हिरासत में लेकर बुरी तरह पीटा. जिस महिला शाहना पर शक जताया था, उसके साथ साठगांठ थी. बच्चे के पिता का आरोप है कि उनके सामने ही जांच अधिकारी आरोपी सहाना को पूछताछ करने की जगह एक दूसरे कमरे में ले गया और वहां उसे ब्लू फिल्म दिखा कर उसकी शादी कराने और लोगों को ब्लैकमेल करके बहुत पैसे कमाने का लालच दिया. यह बात शाहना ने उसे खुद बताई थी.

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बच्चे के पिता का आरोप है इस तरह से दयालपुर पुलिस ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और आरोपी महिला का साथ दिया. उल्टा उन्हें और उनकी पत्नी को प्रताड़ित किया. दयालपुर पुलिस ने केस दर्ज होने के अगले ही दिन उन्हें हिरासत में ले लिया था. उनका मोबाइल और 1000 रुपये जेब से निकाल लिए.

लेकिन जब 19 मई को दिल्ली के दयालपुर थाने की पुलिस को गाजियाबाद पुलिस से सूचना मिली कि एक बच्चा घायल हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है तो बच्चे की मां से उसकी पहचान करवाई गई. मां अपने बच्चे की हालत देखकर दंग रह गई. लेकिन गनीमत यह थी कि बच्चा सुरक्षित हाथों में था.

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इस सूचना के मिलने के बाद दिल्ली पुलिस सक्रिय हुई. वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी में मामला आया. सीसीटीवी और अन्य साक्ष्य मिलने की वजह से वरिष्ठ अधिकारियों का दबाव बढ़ने पर पुलिस ने आरोपी महिला शाहना को गिरफ्तार कर लिया. बच्चे के माता-पिता पुलिस कार्रवाई पर अपडेट लेने के लिए थाने गए तो आरोप है कि जांच अधिकारी ने उन्हें डांट कर वापस लौटा दिया.

कांस्टेबल की पत्नी ने बच्चे की देखभाल की

खुद गाजियाबाद पुलिस के कांस्टेबल विपिन की पत्नी उस बच्चे की देखभाल में चार-पांच दिन अस्पताल में रुकी थी. जबकि उनके पास भी एक छोटा बच्चा है, वह उसको भी अस्पताल ले जाती थीं. 23 मई को बच्चा अस्पताल से डिस्चार्ज हुआ.

इस बीच में आईसीयू में भी रहा. उसके चेहरे की सर्जरी करनी पड़ी. करीब ढाई लाख रुपए का बिल बना था, जिसे मानवता और गाजियाबाद पुलिस के प्रयासों को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने बच्चे के गरीब माता-पिता से नहीं लिया.