logo-image

PFI क्या है जिसे बैन करने की मांग हो रही है

उत्तर प्रदेश में CAA को लेकर हुई हिंसा में PFI का नाम सामने आ रहा है. लगातार आरोप लग रहा है कि PFI ने लोगों को हिंसा के लिए भड़काया. इसके साथ ही यह भी मांग उठने लगी है कि PFI को बैन कर दिया जाए.

Updated on: 31 Dec 2019, 01:42 PM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में CAA को लेकर हुई हिंसा में PFI का नाम सामने आ रहा है. लगातार आरोप लग रहा है कि PFI ने लोगों को हिंसा के लिए भड़काया. इसके साथ ही यह भी मांग उठने लगी है कि PFI को बैन कर दिया जाए. आइए जानते हैं कि PFI आखिर क्या है.

पीएफआई का पूरा नाम पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) है. यह एक चरमपंथी इस्लामी संगठन है. साल 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के मुख्य संगठन के रूप में पीएफआई का गठन किया गया था. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. एनडीएफ के अलावा कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी , तमिलनाडु के मनिथा नीति पासराई , गोवा के सिटिजन्स फोरम , राजस्थान के कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशनल सोसाइटी , आंध्र प्रदेश के एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस समेत अन्य संगठनों के साथ मिलकर पीएफआई ने कई राज्यों में अपनी पैठ बना ली है.

पीएफआई खुद को न्याय, आजादी और सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले नव-समाज के आंदोलन के रूप में बताता है. इस संगठन की कई अलग - अलग शाखाएं भी हैं. जैसे महिलाओं के लिए- नेशनल वीमेंस फ्रंट (NWF - National Women's Front) और विद्यार्थियों के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI - Campus Front of India). गठन के बाद से ही इस संगठन पर कई समाज विरोधी व देश विरोधी गतिविधियों के आरोप लगते रहे हैं.

साल 2012 में केरल सरकार ने एक मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट से कहा था कि पीएफआई की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं. केंद्रीय एजेंसियों के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से साझा किए गए ताजा खुफिया इनपुट और गृह मंत्रालय के मुताबिक, यूपी में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, आजमगढ़ और सीतापुर क्षेत्रों में पीएफआई सक्रिय रहा है.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट, मनिथा नीति पासराई, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और अन्य संगठनों के साथ मिलकर कई राज्यों में पहुंच हासिल कर ली है और वह पिछले दो साल से उत्तर प्रदेश में अपना आधार फैला रहा है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तत्कालीन मायावती सरकार की ओर से शुरू किए गए सख्त उपायों ने पीएफआई सदस्यों को उत्तर प्रदेश छोड़ने के लिए मजबूर किया था, लेकिन उन्होंने पिछले दो साल में राज्य में पैठ बनानी शुरू कर दी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले में 19 दिसंबर से पीएफआई के 14 सदस्यों सहित 28 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जो कथित रूप से सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान बड़े पैमाने पर लोगों को उकसाने का प्रयास कर रहे थे.