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योगी सरकार में अभी और अफसरों पर कसेगा जांच का शिकंजा, जानें क्यों

उत्तर प्रदेश में इन दिनों भ्रष्टाचार के दाग साफ करने के लिए नौकरशाही पर जांच ऐजेंसियों का डंडा चल रहा है. सपा, बसपा के शासन में हुए घोटालों पर जांच एजेंसियों ने भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.

Updated on: 13 Jul 2019, 06:19 AM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में इन दिनों भ्रष्टाचार के दाग साफ करने के लिए नौकरशाही पर जांच ऐजेंसियों का डंडा चल रहा है. सपा, बसपा के शासन में हुए घोटालों पर जांच एजेंसियों ने भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. प्रदेश में करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के मामलों में सीबीआई के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. मायावती सरकार में हुए 1,100 करोड़ रुपये के कथित चीनी मिल घोटाले में सीबीआई की छापेमारी के बाद ईडी ने भी इस घोटाले में धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया है. दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय से मंजूरी मिलते ही लखनऊ स्थित ईडी के जोनल कार्यालय ने यह कार्रवाई की है.

सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नेतराम और विनय प्रिय दुबे कार्रवाई के घेरे में आ चुके हैं. सीबीआई ने नौ जुलाई को इन दोनों अफसरों के आवासों पर छापे मारे थे. इससे पहले आयकर विभाग ने भी नेतराम के यहां छापेमारी की थी. ईडी ने भी चीनी मिल घोटाले में मामला दर्ज कर लिया है. वर्ष 2010 और 2011 के दौरान गन्ना विभाग में तैनात रहे अन्य आईएएस अफसर भी जांच के घेरे में हैं.

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सपा सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों में पांच आईएएस अफसरों की भूमिका सवालों के घेरे में हैं. इसमें तत्कालीन मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सिंचाई व वित्त विभाग में तैनात रहे आईएएस अधिकारी शामिल हैं.

सपा सरकार में उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा की गई 600 से ज्यादा भर्तियों की भी सीबीआई जांच चल रही है. आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अनिल यादव सहित तमाम अफसर जांच की जद में हैं. इसके अलावा सचल पालना गृह घोटाले की जांच भी सीबीआई कर रही है. इसमें श्रम विभाग में तैनात रहे अफसर सीबीआई जांच के दायरे में आएंगे.

प्राशसनिक सूत्रों के अनुसार, अगर नौकरशाहों और करीबी मंत्रियों ने मुंह खोला तो बसपा मुखिया मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

सीबीआई के मुताबिक, बसपा शासन काल में 21 चीनी मीलों का सौदा एनआरएचएम घोटाले के जैसा ही है. करीब 1100 करोड़ रुपये के चीनी मिल घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मामला दर्ज किया है.

सीबीआई के मुताबिक, मायावती के मुख्यमंत्री रहते जिन 21 चीनी मीलों को बेचने की अनुमति दी गई थी, उन्हें औने-पौने दामों में बेचा गया. बरेली के निकट 400 एकड़ में फैली एक चीनी मिल को महज 26 करोड़ रुपये में बेच दिया गया. इसी तरह अन्य चीनी मिलों को भी बेचा गया. मायावती शासनकाल में चीनी मिल सौदे में शामिल करीब एक दर्जन आईएएस अधिकारियों की आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

इसी तरह अखिलेश के मुख्यमंत्रित्व काल में छह जिलों में मनमाने ढंग से खनन पट्टे देने के आरोप हैं. इस मामले में भी सीबीआई ने दो केस दर्ज किए हैं. बुधवार को बुलंदशहर के पूर्व जिलाधिकारी अभय सिंह, कौशल विकास निगम के पूर्व एमडी विवेक और आजमगढ़ के पूर्व सीडीओ देवी शरण उपाध्याय के यहां सीबीआई छापे के बाद उप्र के आईएएस अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है.

दरअसल, उप्र के छह जिलों में हुए अवैध खनन की जांच कर रही सीबीआई के रडार पर आधा दर्जन और अफसर हैं. ये अफसर सपा शासनकाल में बतौर जिलाधिकारी, खनन विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात थे.

सूत्रों के मुताबिक, इन अफसरों में से एक प्रमुख सचिव स्तर तक के अधिकारी, दो विशेष सचिव और पूर्व में बतौर जिलाधिकारी रहे तीन अफसर शामिल हैं. सीबीआई जांच के दायरे में फिलहाल हमीरपुर, देवरिया, फतेहपुर, कौशांबी, शामली और सिद्घार्थनगर जिले हैं. इनमें से फतेहपुर, हमीरपुर और देवरिया जिलों के जिलाधिकारियों से सीबीआई न सिर्फ पूछताछ कर चुकी है, बल्कि उनके घरों को भी खंगाल चुकी है. इस मामले में सीबीआई ने अभी तक चार आईएएस अफसर, पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति सहित छह के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं.

अपनी छवि के लिए सजग योगी सरकार अब ऐसे दागियों की कुंडली खंगाल रही है, जो शिकंजे में फंसे होने के बावजूद महत्वपूर्ण पदों पर जमे हुए हैं.

गुजरे दो दशकों में अनेक भ्रष्टाचार के मामले उजागर हुए हैं, जिनकी जांच का सिलसिला शुरू हो चुका है. इसमें प्रमुख रूप से एनआरएचएम घोटाला, खाद्यान्न घोटाला, बीज घोटाला, मृदा परीक्षण घोटाला, स्मारक घोटाला, चीनी मिल बिक्री घोटाला, भर्ती परीक्षा घोटाला, रिवर फ्रंट घोटाला जैसे अनेक मामले हैं. इनमें अफसरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. कुछ लोगों पर कार्रवाई भी हुई, पर कुछ लोग अपने प्रभाव के चलते मनचाहे पदों पर बने हुए हैं. उपचुनाव और विधानसभा चुनाव 2022 को देखते हुए सरकार ऐसे दागी लोगों को किनारे करना चाह रही है.

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सूत्रों के अनुसार, सपा और बसपा सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों की जांच में उप्र के 50 से ज्यादा आईएएस अधिकारी कार्रवाई के घेरे में आ सकते हैं. अकेले खनन घोटाले में अब तक सात आईएएस अधिकारियों बी. चंद्रकला, जीवेश नंदन, विवेक, अभय सिंह, देवी शरण उपाध्याय, विवेक और संतोष कुमार शिकंजे में आ चुके हैं. अभी खनन घोटाले में ही तत्कालीन प्रमुख सचिव (खनन) सहित 10 अफसरों तक जांच की आंच जाएगी.