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रेप के एक अन्‍य मामले में चिन्‍मयानंद से केस वापस लेना चाहती थी उत्‍तर प्रदेश सरकार

लॉ स्टूडेंट (Law Student) से यौन शोषण (Sexual Harassment Case) के आरोपों को लेकर जेल जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता चिन्मयानंद (Swami Chinmayanand) को एक अन्‍य मामले में उत्‍तर प्रदेश पुलिस बचाना चाहती थी.

Updated on: 20 Sep 2019, 02:18 PM

highlights

  • 2017 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद शुरू हुई थी कवायद
  • 2018 में शाहजहांपुर के एडीएम प्रशासन ने जारी किया था पत्र
  • हालांकि रेप पीड़िता ने राष्‍ट्रपति, CJI को पत्र भेजकर की थी शिकायत

नई दिल्‍ली:

लॉ स्टूडेंट (Law Student) से यौन शोषण (Sexual Harassment Case) के आरोपों को लेकर जेल जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता चिन्मयानंद (Swami Chinmayanand) को एक अन्‍य मामले में उत्‍तर प्रदेश पुलिस बचाना चाहती थी. 2011 में चिन्‍मयानंद पर हरिद्वार के आश्रम में एक साध्वी को बंधक बनाकर रेप (Rape) करने का आरोप था. शाहजहांपुर (Shahjahanpur) कोतवाली में 30 नवंबर 2011 को रेप और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा भी दर्ज किया गया था.

इस मामले में चिन्‍मयानंद ने गिरफ्तारी के खिलाफ उत्‍तर प्रदेश हाईकोर्ट (High Court) से स्टे ले लिया था. यही केस यूपी सरकार (UP Government) वापस लेना चाहती थी. इसके लिए मार्च 2018 में योगी आदित्‍यनाथ की सरकार ने उन पर दर्ज IPC की धारा-376 और 506 का केस वापस लेने का आदेश दिया था लेकिन पीड़िता के अड़े रहने से सरकार की मंशा सफल नहीं हो पाई.

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मार्च 2018 में यूपी सरकार ने चिन्‍मयानंद के खिलाफ केस वापस लेने का पत्र जारी किया था. इसकी किसी को भनक नहीं लगने दी गई. इस मामले में बदायूं की एक साध्वी ने आरोप लगाए थे, लेकिन शासन के आदेश पर शाहजहांपुर कोतवाली में दर्ज यह केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. इस संबंध में वरिष्‍ठ अभियोजन अधिकारी को संबोधित यह पत्र जिला मजिस्ट्रेट के हवाले से एडीएम (प्रशासन) ने जारी किया था.

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बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ही इसकी कवायद शुरू हो गई थी. चिन्मयानंद ने मार्च 2017 में शासन को पत्र लिखकर मुकदमा वापस लेने की मांग की थी. हालांकि, रेप पीड़िता ने राष्ट्रपति, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) और जिला जज को पत्र लिखकर केस वापसी का विरोध किया था.