उत्तर प्रदेश के बंटवारे की कुछ तो खिचड़ी पक रही है, इन नेताओं की बातें तो यही इशारा कर रही हैं
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को तीन भागों में बांटने और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर सरकार के अंदरखाने चर्चा चल रही है, ऐसा दावा किया जा रहा है.
highlights
- उत्तर प्रदेश को 3 भागों में बांटने का है प्रस्ताव
- गोरख प्रांत और बुंदेलखंड नाम से नए राज्य बन सकते हैं
- गोरख प्रांत की राजधानी गोरखपुर तो बुंदेलखंड की हो सकती है प्रयागराज
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बंटवारे की कुछ तो खिचड़ी पक रही है. NewsState ने कुछ दिनों पहले "क्या UP को बांटने जा रही है मोदी सरकार?" शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी. इसके बाद समाजवादी पार्टी (Samajvadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Aklhilesh Yadav) और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले (Ramdas Athawale) के बयानों से लग रहा है कि कुछ सुगबुगाहट है, जो इस साल के अंत में मूर्त रूप ले सकता है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आपत्ति जताते हुए कहा, मोदी सरकार (Modi Sarkar) की यही दिक्कत है, कुछ समझ में न आए तो सबकुछ बांट दो. एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले (Ramdas Athawale) ने सुझाव दिया था कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को दो भागों में विभाजित कर देना चाहिए. उन्होंने इसके लिए सरकार में उच्चस्तर पर बात करने का भी आश्वासन दिया.
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इससे पहले Newsstate ने खबर प्रकाशित की थी कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को तीन भागों में बांटने का प्रस्ताव है. इसके साथ दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर सरकार के अंदरखाने चर्चा चल रही है. हालांकि लुटियंस दिल्ली को इससे अलग रखे जाने की बात कही जा रही है. हालांकि इस बात की उच्चस्तर पर अभी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन नेताओं के बयानों से इस चर्चा को बल मिल रहा है.
उत्तर प्रदेश को लेकर किए जा रहे दावे के अनुसार, दो नए राज्य बनाए जाएंगे- पूर्वांचल (गोरख प्रांत) और बुंदेलखंड. उत्तर प्रदेश नाम से एक राज्य पूर्ववत रहेगा. इस तरह उत्तर प्रदेश को तीन भागों में बांटे जाने की बात कही जा रही है. गोरख प्रांत की राजधानी गोरखपुर तो बुंदेलखंड की राजधानी प्रयागराज को बनाया जा सकता है. प्रस्तावित गोरख प्रांत (पूर्वांचल) में देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, आजमगढ़, बलिया, मऊ, बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती, अम्बेडकर नगर, अयोध्या , सुल्तानपुर ,अमेठी, बाराबंकी, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर और वाराणसी सहित कुल 23 जिले शामिल किए जा सकते हैं.
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प्रस्तावित राज्य बुन्देलखण्ड में प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, महोबा, झांसी, जालौन, ललितपुर, मिर्जापुर, संत रविदास नगर, सोनभद्र, कानपुर, कानपुर देहात, औरैया को मिलाकर कुल 17 जनपद शामिल किए जा सकते हैं, जैसा कि दावा किया जा सकता है.
दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के शेष भाग पूर्ववत रहेंगे, जिसकी राजधानी लखनऊ रहेगी. इसमें लखनऊ, हरदोई, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, एटा, हाथरस, कासगंज, बरेली, बदायू , बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, फर्रूखाबाद व कन्नौज सहित कुल 20 जिले शामिल होंगे.
सोशल मीडिया और अंदरखाने जो चर्चा चल रही है, उसके अनुसार लुटियन्स जोन को छोड़कर बाकी दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने का प्रस्ताव है. इसके साथ ही हरियाणा के सोनीपत, रोहतक, झज्जर, गुरुग्राम, रिवाड़ी, नूंह (मेवात), पलवल और फरीदाबाद को प्रस्तावित दिल्ली राज्य का हिस्सा बनाया जाएगा. हरियाणा के इन शहरों को अलग करने की भरपाई उत्तर प्रदेश के मेरठ और सहारनपुर मंडल के जिलों को हरियाणा में शामिल कर किए जाने की बात कही जा रही है.
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बताया जा रहा है कि मेरठ मंडल के जिले बागपत, गाजियाबाद, नोएडा, हापुड, बुलंदशहर और मेरठ दिल्ली प्रदेश में शामिल कर लिए जाएंगे. दूसरी ओर, सहारनपुर मंडल के सभी तीनों जनपद हरियाणा में शामिल किए जा सकते हैं. यह भी कहा जा रहा है कि मुरादाबाद मंडल को उत्तराखंड का हिस्सा बनाया जा सकता है.
ये हैं पेंच
हरियाणा के शहरों को काटकर दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने का जो दावा किया जा रहा है, उसमें कई पेंच हैं. गुरुग्राम और फरीदाबाद हरियाणा के सबसे विकसित शहर हैं. हरियाणा सरकार शायद ही चाहेगी कि उसके दो नगीने शहर को उससे अलग किया जाए. इसके अलावा सोनीपत सहित उसके कई शहर एनसीआर का हिस्सा बन चुके हैं और वहां करोड़ों के विकास कार्य चल रहे हैं. हरियाणा सरकार यह भी नहीं चाहेगी कि उसके उभरते हुए शहर भी उससे अलग हो जाएं.
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... तो खत्म हो जाएगा अरविंद केजरीवाल का मुद्दा
जैसा कि सोशल मीडिया में दावे किए जा रहे हैं, अगर सच में मोदी सरकार ऐसा कोई कदम उठा लेती है तो आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के हाथ से बड़ा मुद्दा छिन जाएगा. अभी बीते लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था. इसी मुद्दे पर कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन नहीं हो पाया था.
चौंकाती रही है मोदी सरकार
मोदी सरकार अपने फैसलों से अकसर चौंकाती रही है. नोटबंदी हो या सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक या फिर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति जैसे फैसलों से मोदी सरकार चकित करती रही है. कोई आश्चर्य नहीं कि मोदी सरकार राज्य पुनर्गठन विधेयक लाकर उत्तर प्रदेश को बांटने और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने संबंधी प्रस्ताव ले आए.
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