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उत्तर प्रदेश: जल्द बदल जाएगा संगम नगरी इलाहाबाद का नाम, सीएम योगी ने किया ऐलान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि जल्द ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने का प्रयास चल रहा है.

Updated on: 14 Oct 2018, 02:51 PM

नई दिल्ली:

अब जल्द ही संगम नगरी इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हो जाएगा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि जल्द ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने का प्रयास चल रहा है. सर्किट हाउस में मार्गदर्शक मंडल की पहली बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि मार्गदर्शक मंडल की बैठक में हर तबके खासकर अखाड़ा परिषद, प्रबुद्ध वर्ग से एक प्रस्ताव आया है कि इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया जाए.

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि राज्यपाल महोदय ने भी इस पर अपनी सहमति दी है. जब हम प्रयाग की बात करते हैं तो जहां दो नदियों का संगम होता है, वह अपने आप में एक प्रयाग हो जाता है. आपको उत्तराखंड में विष्णु प्रयाग, देव प्रयाग, रुद्र प्रयाग, देव प्रयाग, कर्ण प्रयाग देखने को मिलेंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय से निकलने वाली दो देव तुल्य पवित्र नदियां- गंगा और यमुना का संगम इस पावन धरती पर होता है तो स्वभाविक तौर पर यह सभी प्रयागों का राजा है, इसलिए यह प्रयागराज कहलाता है. हमने उनकी इस बात का समर्थन किया है और हमारा प्रयास होगा कि बहुत जल्द हम इस नगर का नाम प्रयागराज करें'

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तीर्थराज प्रयाग के नाम से मशहूर इलाहाबाद में अगले साल संगम पर अर्धकुंभ मेला होना है. बता दें कि यहां गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन होता है इसलिए इसे संगम के नाम से भी जाना जाता है.

कुंभ हिंदुओं की प्रमुख धार्मिक मान्यताओं की परंपराओं में एक है, जिसमें करोड़ों लोग जुटते हैं इसलिए इसे लोकसभा चुनाव में भी भुनाने की कोशिश होगी. जानकार बताते हैं कि इलाहाबाद पहले प्रयाग के नाम से ही जाना जाता था लेकिन 1583 में मुगल बादशाह अकबर ने इसका नाम बदलकर इलाहाबाद कर दिया था.

इलाहाबाद अरबी शब्द इलाह (दीन-ए-इलाही में इसे अल्लाह माना गया है) और फारसी शब्द आबाद (अर्थात बसाया हुआ) से मिलकर बना है.

गौरतलब है कि यूपी में ज़िलों या क़स्बों का नाम बदलने की सियासत काफी पुरानी है. इससे पहले मायावती के सीएम रहते हुए 8 पुराने शहरों के नाम बदले थे और इन्हें दलित महापुरुषों के नाम पर रखे थे.

हालांकि बाद में अखिलेश यादव की सरकार ने मायावती के फैसले को पलटते हुए पुराने नाम वापस दे दिए. इसमें अमेठी, हापुड़, शामली, संभल, हाथरस, कानपुर देहात, कासगंज और अमरोहा शामिल हैं.