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उत्तर प्रदेश की पुलिस ने माना, उसकी गोली से हुई एक प्रदर्शनकारी की मौत

एक अन्य उपद्रवी अनस की मौत भीड़ द्वारा चलायी गई गोली लगने से हुई है, उसका पुलिस से कोई लेना-देना नहीं है.

Updated on: 24 Dec 2019, 08:23 PM

नई दिल्‍ली:

उत्तर प्रदेश पुलिस के शीर्ष नेतृत्व के इनकार के बीच बिजनौर पुलिस ने मंगलवार को यह स्वीकार किया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ जिले के नहटौर में शुक्रवार को हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई. पुलिस अधीक्षक (देहात) विश्वजीत श्रीवास्तव ने मंगलवार को बताया कि सीएए के खिलाफ गत शुक्रवार को जिले के नहटौर इलाके में जुमे की नमाज के बाद हिंसक भीड़ ने थाने पर हमला कर दारोगा आशीष तोमर की पिस्तौल छीन ली थी. एक सिपाही ने जब उपद्रवी से पिस्तौल वापस लेने की कोशिश की तो उसने सिपाही पर गोली चला दी. इसमें पुलिसकर्मी बाल-बाल बचा. सिपाही ने आत्मरक्षा में गोली चलायी जो हमलावर उपद्रवी सुलेमान(22) को लगी, जिससे उसकी मौत हो गयी.

हालांकि उन्होंने कहा कि एक अन्य उपद्रवी अनस की मौत भीड़ द्वारा चलायी गई गोली लगने से हुई है, उसका पुलिस से कोई लेना-देना नहीं है. मालूम हो कि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह समेत तमाम आला अधिकारियों ने दावा किया था कि किसी भी प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई है. पुलिस के मुताबिक प्रदेश में जिन स्थानों पर भीड़ और पुलिस के बीच हिंसक वारदात हुईं वहां खोजबीन में प्रतिबंधित बोर के 700 से ज्यादा खोखे बरामद हुए हैं. इससे स्पष्ट है कि गोलियां प्रदर्शनकारियों ने चलायी थीं. पुलिस अधीक्षक संजीव त्यागी ने बताया कि 20 दिसम्बर को जुमे की नमाज के बाद भीड़ सड़कों पर उतर आयी थी. इनमें छोटे बच्चे आगे थे. थोड़ी ही देर में भीड़ उग्र हो गयी और पथराव तथा आगजनी करने लगी. उन्होंने कहा कि जिले में अब स्थिति सामान्य है. कुल 32 मामले दर्ज कर 215 आरोपी जेल भेजे गये हैं.

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हिंसा के तीन प्रमुख षडयंत्रकारियों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है. इस बीच संबद्ध घटनाक्रम में कानपुर पुलिस ने हवा में गोलियां चलाने की बात स्वीकारी है लेकिन दावा किया कि पुलिस की गोली से कोई घायल नहीं हुआ है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा रविवार को बिजनौर में सुलेमान के परिवार से मिलीं. सुलेमान की मां ने बताया कि उनके बेटे ने देश के लिए शहादत दी है. उसके परिवार का कहना था कि सुलेमान सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा था. प्रदर्शन से उसका कोई लेना देना नहीं था. इस बीच एसएसपी कानपुर अनंत देव तिवारी ने माना कि कुछ पुलिसकर्मियों ने अपने हथियार लोड किये थे और गोलियां चलाई थीं, जैसा समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर चल रही वीडियो क्लिप में दिखाया गया है. उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने आत्मरक्षा में चार गोलियां चलाईं लेकिन वह हवा में चलाई गई थीं. इसमें कोई घायल नहीं हुआ है. इस सवाल पर कि एक व्यक्ति की मौत क्या पुलिस की गोली से हुई है, तिवारी ने कहा कि यह बात फारेंसिक जांच से साबित होगी. इससे पहले एक वीडियो क्लिप में पुलिस के सब इंस्पेक्टर को पिस्तौल लोड करते दिखाया गया था. वीडियो यतीमखाना क्षेत्र का मालूम पड़ता है.

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पहली बार उत्तर प्रदेश पुलिस ने स्वीकार किया है कि हिंसक प्रदर्शनों के दौरान उसने गोलियां चलाई थीं. हिंसा में लगभग 17 लोगों की मौत हुई है. पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह ने कहा था कि पुलिस गोलीबारी में किसी की मौत नहीं हुई है. उन्होंने दावा किया कि अधिकांश मौतें 'क्रास फायरिंग' में हुई हैं. पुलिस ने कहा था कि पिछले गुरुवार और जुमे की नमाज के बाद हिंसा के दौरान केवल प्रदर्शनकारियों ने ही आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल किया था. पुलिस का कहना है कि प्रदेश भर में 288 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. इनमें से 62 लोग गोली लगने से जख्मी हुए हैं. पुलिस का दावा है कि 700 से अधिक जिन्दा कारतूस और खोखे बरामद किये गये हैं. एक अन्य वीडियो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का है, जिसमें दिखाया गया है कि छात्र परिसर के गेट को जोर से धक्का मार रहे हैं. प्रदर्शनकारी संभवत: बाहर आना चाहते थे क्योंकि पुलिस ने उन्हें परिसर में ही घेर लेने की कोशिश की थी.