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बाटी चोखा देने में देर हुई तो दरोगा ने काट दिया 2500 का चालान, धमकी भी दी, देखें VIDEO

उत्तर प्रदेश पुलिस 2019 में भी अंग्रेजों की पुलिस की तरह बर्ताव कर रही है. पुलिस अधिकारी भले ही यूपी पुलिस को पब्लिक सर्वेंट या पब्लिक की दोस्त कहें.

Updated on: 26 Sep 2019, 03:37 PM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश पुलिस 2019 में भी अंग्रेजों की पुलिस की तरह बर्ताव कर रही है. पुलिस अधिकारी भले ही यूपी पुलिस को पब्लिक सर्वेंट या पब्लिक की दोस्त कहें. लेकिन सच्चाई इससे कई बार अलग ही देखने को मिलती है. कई बार वायरल होते हुए वीडियो आ जाते हैं. जिसमें दिखाई देता है कि पुलिस लात घूसों के जरिए जनता से अपनी दोस्ती दिखा रही है. वर्दी के नाम पर किसी भी दुकान से मुफ्त में सामान ले लेना. दुकानदार पर धौंस जमाना. यह आम जीवन में देखने को मिलता है. लखनऊ पुलिस में कुछ लोग लगातार इस तरह की छवि बरकरार रखें हुए हैं.

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तभी तो यहां बाटी चोखा देने में देरी हुई तो पुलिस वाले ने चालान काट दिया. चालान भी ऐसा-वैसा नहीं बल्कि 2500 रुपये का. मामला लखनऊ के तालकटोरा थाने का है. राजाजीपुरम इलाके में बाटी चोखा की दुकान लगाने वाले कन्हैया लाल की दुकान पर सब इंस्पेक्टर दिनेश चन्द मंगलवार को पहुंचा और 10 प्लेट बाटी चोखा देने को कहा. कन्हैयालाल ने इंतजार करने को कहा.

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जो कि दरोगा को नागवार गुजरा. खाकी वर्दी पहले हुए और कंधे पर चमकते सितारे लगाए हुए दरोगा को कोई इंतजार करने को भला कैसे कह सकता है. दरोगा जी बिना बाटी चोखा लिए वहां से लौट गए. कन्हैया लाल ने अपनी दुकान एक छोटा हाथी यानी हॉफ डाला वाली गाड़ी पर बना रखी है. दरोगा जी को अचानक से अपने सारे अधिकार और नियम कानून याद आ गए.

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जब रात को कन्हैयालाल अपने परिवार के साथ वापस लौट रहा था. तभी खार खाए हुए दरोगा ने सीट बेल्ट न लगाने के लिए 2500 रुपये का चालान काट दिया. इसके साथ ही धमकी दी कि अब रोज तुम्हारा चालान काटूंगा. दुकानदार को धमकी देने का वीडियो एक राहगीर ने बना लिया और वायरल कर दिया. अब हाल यह है कि लखनऊ पुलिस को इस मामले पर कोई जवाब देता नहीं बन रहा है. हालांकि SSP ने वीडियो के आधार पर दरोगा को निलंबित कर दिया है.

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लेकिन सवाल यह है कि जब वीडियो बन गया तो कार्रवाई हुई. लेकिन न जाने इस तरह के कितने दरोगा या सिपाही होंगे जो वर्दी का धौंस जमाते हैं जैसे जनता उनकी गुलाम हो. उनका वीडियो भी नहीं बन पाता. तो आखिर उन पर कार्रवाई कब होगी. साथ ही पुलिस वालों की यह मानसिकता कब खत्म होगी कि वह जनता की मदद के लिए हैं न कि उनका शोषण करने के लिए.