नेपाल से छोड़े गए पानी से उत्तर प्रदेश में नदियां उफान पर, लोगों में दहशत
उत्तर प्रदेश में नदियों के जलस्तर बढ़ने से कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं. नेपाल से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने से नदियों के रास्ते पानी उत्तर प्रदेश में आ रहा है.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश में नदियों के जलस्तर बढ़ने से कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं. नेपाल से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने से नदियों के रास्ते पानी उत्तर प्रदेश में आ रहा है. इसी कारण कई नदियों में उफान है. इससे स्थित और भी खराब हो रही है. प्रदेश के कई जिले प्रभावित हो रहे हैं. नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण घाघरा व सरयू के जलस्तर में बढ़ोतरी देखी जा रही है. इन नदियों के किनारे बसने वाले लोग दहशत में है. कृषि योग्य भूमि में कटान भी शुरू हो गई है.
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मंझरा तौकली गांव के किसान रामचंद्र ने बताया, 'हमारी कृषि योग्य भूमि कटान के कारण नष्ट हो रही है. गांव के अन्य लोग भी इससे परेशान हैं. किसानों की हालत बहुत खराब हो रही है. अभी एक-दो दिन से पानी ज्यादा दिख रहा है. इससे और ज्यादा प्राण सूख रहे हैं. बाढ़ प्रभावित माझा इलाके के गांवों के लोग नदियों का मिजाज बदलता देख पलायन की तैयारी कर रहे हैं.' वहीं पास गांव मांझा के चेतन ने बताया कि हर साल बाढ़ की चपेट में हमारा सब कुछ छिन जाता है. इसके लिए सरकार को बहुत पहले ही व्यवस्था कर देनी चाहिए. जिससे यह हालात ना पैदा हो.
सिंचाई विभाग के अभियंता शोभित कुशवाहा ने बताया कि नेपाल से 141000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. पानी अभी नदी के दोनों मुहाने के बीच से होकर बह रहा है. कुछ जगह कटान हुई है, पर हालात अभी काबू पर हैं. अंबेडकर नगर के टांडा इलाके में घाघरा का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ रहा है. इस कारण कटान शुरू हो गई है. हालांकि अभी पानी 40 सेंटीमीटर नीचे है. अगर जलस्तर बढ़ता गया तो 9 गांव इसकी चपेट में आ जाएंगे. जबकि एडीएम अमरनाथ राय ने कहा कि अभी नदी का जलस्तर काफी नीचे है. फिर भी हमने लोगों को सुरक्षित रखने के लिए नाव और चौकियों का इंतजाम किया गया है.
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सरयू नदी का जलस्तर भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है. अभी यह खतरे के निशान से 45 मीटर नीचे है. इसके इर्द-गिर्द बसे ग्रामीणों ने पलायन की तैयारी शुरू कर दी है. हालांकि अधिशासी अभियंता का कहना है कि अभी यहां पर बाढ़ जैसा कुछ नहीं है. अगर आगे वैसे हालात बनते हैं तो निपटने की पूरी तैयारी कर ली गई है. शासन से करीब 60 करोड़ रुपये फंड की मांग भी की गई है. उधर, सीतापुर में नदी के आस-पास करीब 12 गांव हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अगर बैराजों से पानी छोड़ा गया तो तटवर्ती क्षेत्रों में बसे लोग और फसलें बर्बाद हो जाएंगी.
सिंचाई एवं जल संसाधान विभाग के मुख्य अभियंता ए.के. सिंह ने बताया कि शारदा नदी खतरे के निशान को पार कर गई है. शारदा का आज का जलस्तर 154.80 है, जो खतरे के निशान से 0.560 मीटर ऊपर है. राप्ती का जलस्तर 104.700 मीटर है जो खतरे के निशान से 0.080 मीटर ऊपर है. घाघरा अपनी जगह स्थिर है. उसका जलस्तर 63.890 है, जबकि खतरे का निशान 64.010 मीटर पर है. बाढ़ राहत आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हर प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. जहां हालात ज्यादा खराब हैं, वहां चौकियों को अलर्ट किया गया है. साथ ही जिलाधिकारी से कहा गया है कि हर आदमी की जान-माल की बाढ़ से रक्षा की जाए. तराई क्षेत्रों में भी एनडीआरएफ की टीमों को मुस्तैद रहने को कहा गया है.
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