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काशी में पावर कट, योगी सरकार ने डायरेक्टर को डिमोट कर बनाया इंजीनियर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बिजली आपूर्ति में वापरवाही बरतना पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक अंशुल अग्रवाल को भारी पड़ा है. योगी सरकार ने उनका डिमोशन कर दिया है.

Updated on: 02 Nov 2019, 01:26 PM

वाराणसी:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बिजली आपूर्ति में वापरवाही बरतना पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक अंशुल अग्रवाल को भारी पड़ा है. योगी सरकार ने उनका डिमोशन कर दिया है. अंशुल अग्रवाल को अब डायरेक्टर से इंजीनियर बना दिया गया है.

अंशुल अग्रवाल पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में तकनीकि निदेशक के पद पर तैनात थे. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में बिजली आपूर्ति का जिम्मा इन्हीं के पास था. योगी सरकार ने अंशुल अग्रवाल का डिमोशन कर उन्हें मुख्य अभियंता बना दिया है.

अंशुल अग्रवाल पर काम में लापरवाही का आरोप लगा था. ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने अंशुल के निदेशक पद पर रहते हुए अपने काम में लापरवाही बरतने के आरोपों के बाद यह फैसला लिया है. वाराणसी के चौधरी उप केंद्र से 7 जुलाई को 18 घंटे और 21 जुलाई को 36 घंटे बिजली गुल रही थी. इसी को लेकर वाराणसी के लोगों ने ऊर्जा मंत्री को शिकायत की थी. इन आरोपों के बाद श्रीकांत शर्मा ने अंशुल को पदावनत करने का फैसला लिया.

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सरकार का कहना है कि प्रदेश में बिजली आपूर्ति को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं. काम में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी.

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में बिजली आपूर्ति में गड़बड़ी के बाद सरकार ने यह फैसला किया है. सरकार द्वारा की गई इस कार्रवाई के बाद अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है.

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बताया जा रहा है कि सरकार ने यह फैसला 7 जुलाई को बिजली आपूर्ति में ढिलाई के बाद लिया है. इससे ठीक पहले जून के महीने में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य करते हुए पावर कार्पोरेशन के 31 कार्मिकों के विरुद्ध अभियोजन की कार्यवाही सुनिश्चित करने के आदेश दिए थे.

ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा द्वारा जिन कार्मिकों के विरुद्ध कार्रवाई की गई उनके खिलाफ उपभोक्ता उत्पीड़न या भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच लंबित थी, उन पर समयबद्ध तरीके से कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था. साथ ही जांच या विजिलेंस के मामलों को जान बूझकर दबाकर रखने वाले अधिकारियों पर भी प्रभावी कार्रवाई करने की बात कही थी.