उत्तर प्रदेश के स्कूलों में 31 अक्टूबर तक स्वेटर बांटने का आदेश, गड़बड़ी करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में अब स्वेटर वितरण को लेकर संजीदगी बरती जा रही है. प्रदेश सरकार ने इस बार स्वेटर वितरण का कार्य 31 अक्टूबर तक पूरा करने का आदेश जारी किया है.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में अब स्वेटर वितरण को लेकर संजीदगी बरती जा रही है. प्रदेश सरकार ने इस बार स्वेटर वितरण का कार्य 31 अक्टूबर तक पूरा करने का आदेश जारी किया है. पिछले साल देरी होने के कारण सरकार की किरकिरी हुई थी. आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि इस बार स्वेटरों की खरीदारी केंद्र द्वारा विकसित जेम पोर्टल के माध्यम से होगी. इस दौरान गड़बड़ियां मिलने पर संबंधित अधिकारियों को छोड़ा नहीं जाएगा.
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अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने रविवार को शासनादेश जारी करते हुए सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि स्वेटर की खरीदारी 20 अक्टूबर तक पूरी कर ली जाए. जिलों में निगरानी के लिए जिलाधिकारी (डीएम) की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति बनाई गई है. इसमें जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को सचिव बनाया गया है. इस समिति की जिम्मेदारी स्वेटर की निश्चित समय में खरीदारी और गुणवत्ता जांचनी होगी.
डीएम की अध्यक्षता में बनी कमेटी को 31 अक्टूबर तक हर हाल में स्वेटर का वितरण करना होगा. शासनादेश में विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों का साइज भी निर्धारित किया गया है.
शासनादेश के अनुसार, स्वेटर का अधिकतम मूल्य 200 रखा गया है, जिसमें 75 प्रतिशत भुगतान तत्काल और 25 प्रतिशत भुगतान आपूर्तिकर्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए सैंपल के मिलान के बाद देय होगा. आदेश में इससे अधिक मूल्य रखने पर मनाही है. इसके वितरण की पूरी जिम्मेदारी बीएसए की होगी. सरकार ने स्वेटर की गुणवत्ता खराब होने या छात्रों की संख्या में फर्जीवाड़ा पाए जाने पर समिति के अध्यक्ष एवं प्रधानाध्यापक पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. शासनादेश में यह भी कहा गया है कि वसूली की कार्रवाई करते हुए विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी.
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ज्ञात हो कि बीते वर्ष राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चों को स्वेटर बांटने में देरी हो गई थी, जिस कारण प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की किरकिरी हुई थी. मई 2017 में प्रदेश में योगी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनी थी. उस दौरान राज्य सरकार ने टेंडर पहले ही दे दिए थे, लेकिन टेंडर में गड़बड़ी होने के कारण इन्हें निरस्त कर दिया गया था. इसके बाद स्कूलों में स्वेटर पहुंचने में समय लग गया था और विपक्ष ने सरकार की कड़ी आलोचना की थी.
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