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पुलवामा के एक साल : जब चंद्रशेखर की धरती का एक और 'आजाद' हुआ था शहीद, जानें आज कैसा है परिवार

14 फरवरी 2018 को पुलवामा के आतंकी (Pulwama Terror Attack) हमले में उन्नाव का जाबांज अजीत कुमार आजाद भी शहीद हो गया था. वहीं मासूम बेटी ईशा व श्रेया के सिर से पिता का साया तो मीना (अजीत की पत्नी ) की मांग का सिंदूर मिट गया था.

Updated on: 14 Feb 2020, 06:33 AM

उन्नाव:

14 फरवरी 2018 को पुलवामा के आतंकी (Pulwama Terror Attack) हमले में उन्नाव का जाबांज अजीत कुमार आजाद भी शहीद हो गया था. वहीं मासूम बेटी ईशा व श्रेया के सिर से पिता का साया तो मीना (अजीत की पत्नी ) की मांग का सिंदूर मिट गया था. मां भारती की रक्षा में शहादत देने वाले अजीत की अंतिम यात्रा में हर आंख नम थी. परिवार के गम में जिले के लोग ही नहीं सरकार के नुमाइंदे भी शरीक हुए थे. दिन गुजरने के साथ ही कानून मंत्री ब्रजेश पाठक का वादा भी छलावा हो गया. हो भी क्यों न एक साल का समय होने को है लेकिन मोहल्ले का शहीद के नाम नामकरण नहीं हो सका और न ही शहीद द्वार बनाया गया है. सरकारी नौकरी मिलने से मीना ने सरकार से संतोष व्यक्त किया है. तो वहीं परिवार कानून मंत्री की वादाखिलाफी को कोसते थक नहीं रहे.

14 फरवरी की वो काली शाम जब जम्मू कश्मीर पुलवामा के आत्मघाती आतंकी हमले में 45 शहीदों में शहीदे आजम चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) की सरजमीं उन्नाव का एक और 'आजाद' देश के लिए शहीद हो गया था. कुछ ही पलों में मीना गौतम की हंसी खुशी जिंदगी गमों के पहाड़ के नीचे चकनाचूर हो गई थी. हम बात कर रहे है शहर के मोहल्ला लोकनगर निवासी अजीत कुमार आजाद जो CRPF की 115 वीं बटालियन में तैनाती के दौरान पुलवामा आतंकी हमले में वीरगति को प्राप्त हुए थे.

जांबाज की शहादत को अब एक साल होने को है, और परिवार आज भी गम में है. 14 फरवरी की उस रात के मंजर को याद कर शहीद के पिता प्यारेलाल, पत्नी मीना गौतम, भाई रंजीत कुमार आजाद अभी भी सिहर उठते हैं. वहीं 8 वर्षीय बेटी ईशा आजाद व 6 साल की श्रेया आजाद मानो आज भी पिता के आने का इंतजार कर रही हैं. हालांकि सरकार ने शहीद की पत्नी को सरकारी नौकरी देने का वादा पूरा कर लिया है. शहीद की पत्नी मीना गौतम की जिला विकास अधिकारी कार्यालय में नियुक्ति हो चुकी हैं.

ससुरालीजनों के साथ शहीद की पत्नी मीना गौतम.

वहीं प्रशासन की तरफ से शहर के बाहरी हिस्से में शहीद स्मारक स्थल के लिए जमीन भी दी जा चुकी है. जिस पर जन सामान के सहयोग से इस स्मारक निर्माण का कार्य भी हो रहा है. शहीद का एक भाई मंजीत थलसेना में हवलदार के पद पर मां भारती की रक्षा के लिए सरहद पर तैनात है. जिससे परिवार की देश सेवा की भावना का अंदाजा लगाया जा सकता है.

शहीद के पिता प्यारेलाल व पत्नी मीना गौतम कहती हैं कि जिस दिन देश से आतंकवाद खत्म हो जाएगा. वही दिन शहीदों की शहादत का असली दिन होगा. वहीं 8 साल की बेटी ईशा आजाद भविष्य में वैज्ञानिक बनकर पिता का सपना पूरा करने के साथ ही देश सेवा का जज्बा संजो रही हैं. इस सबके बीच शहीद के भाई रंजीत आजाद के मन में पीड़ा भी निकल कर सामने आई.

उनका कहना था कि भाई की शहादत की अंतिम यात्रा में शामिल होने आए उत्तर प्रदेश सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने शहीद स्मारक द्वार व मोहल्ले का नाम शहीद अजीत कुमार आजाद के नाम पर रखने की बात कही थी. लेकिन 1 साल पूरे होने को है और हकीकत में ऐसा नहीं हो सका. शहीद के भाई रंजीत कुमार ने बताया कि 14 फरवरी हमले की बरसी के दिन वह शहीद भाई की स्मृति में देश की रक्षा में प्राण गवाने वाले जिले के शहीदों के परिवार को आमंत्रित कर उन्हें सम्मानित करने का प्लान बना रहे हैं. जिसकी तैयारियां अंतिम चरण में हैं.