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बाबर के नाम पर जमीन देकर न्यायालय-सरकार आतंकवाद के समर्थक सिद्ध होंगे: निश्चलानंद सरस्वती

माघ मेले में लगे शिविर में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, “यदि मुस्लिम तंत्र अयोध्या तो छोड़ दीजिए, भारत में कहीं भी एक इंच भूमि स्वीकार करता है तो वह बाबर का अनुगामी सिद्ध होगा.

Updated on: 20 Jan 2020, 08:59 PM

प्रयागराज:

गोवर्द्धनमठ पुरी के पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सोमवार को यहां कहा कि अगर न्यायालय और शासन तंत्र आतंकवादी, उन्माद फैलाने वाले और मान बिंदुओं को ध्वस्त करने वाले के नाम पर मस्जिद बनाने के लिए जमीन देने को उत्सुक हैं तो ये दोनों ही आतंकवाद के समर्थक सिद्ध होंगे. उन्होंने कहा कि इतिहास न तो न्यायालय को छोड़ेगा और न शासन तंत्र को. यह सिद्ध हो जाएगा कि ये आतंकवाद के समर्थक थे. एक आतंकवादी के नाम पर जमीन देना, उसे महिमामंडित करना हुआ या नहीं.

यहां माघ मेले में लगे शिविर में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, “यदि मुस्लिम तंत्र अयोध्या तो छोड़ दीजिए, भारत में कहीं भी एक इंच भूमि स्वीकार करता है तो वह बाबर का अनुगामी सिद्ध होगा. कंस भी हिंदू था, लेकिन हम कंस को आदर्श नहीं मानते. प्रह्लाद जी हिरणकश्यपु को अपना पिता मानते थे, लेकिन प्रह्लाद अपने पिता के मार्ग पर नहीं चले.” स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, “मुस्लिमों को यदि इतिहास में अपना नाम आतंकवाद के पोषक के रूप में अंकित नहीं कराना है तो वे घोषित करें कि वे एक आतंकवादी के नाम पर एक इंच भी भूमि नहीं लेंगे.”

देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर चल रहे विरोध पर उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर इस तरह की समस्या का समाधान आवश्यक है. उदाहरण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से भी इस समस्या का समाधान हो सकता है. विश्व में 204 देश हैं जिसमें 50 से अधिक देश मुस्लिम तंत्र से संबंधित हैं. इससे अधिक ईसाई तंत्र से संबद्ध देश हैं. लेकिन हिंदू राष्ट्र के तौर पर विश्व में कोई भी देश नहीं है. उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ भारत, नेपाल और भूटान को हिंदू राष्ट्र घोषित करे. जिनके (हिंदू) पूर्वजों ने विश्व को धर्म शास्त्र, मोक्ष शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र, वास्तु विज्ञान, गणित आदि का ज्ञान दिया, 64 कलाएं दीं, 32 विद्याएं दीं.

इनका वंश विलुप्त न हो क्या इसके लिए मानवाधिकार की सीमा में इनका इतना भी अधिकार नहीं रह गया है.” देश में दर्जनों की संख्या में शंकराचार्य होने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि चीन चाहने पर भी नकली दलाई लामा नहीं बना सका.. पोप कोई नकली नहीं, प्रधानमंत्री कोई नकली नहीं तो क्या शंकराचार्य इतना घटिया पद है कि सैकड़ों व्यक्तियों को शंकराचार्य बनाकर घुमा रहे हो.. यहां का प्रशासन उनको पूरी सुविधा दे रहा है. उन्होंने कहा कि शंकराचार्य की गद्दी के साथ आप न्याय नहीं कर सकते तो शासन कैसे कर सकते हैं. भाषा राजेंद्र नीरज नीरज