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साधू-संत बोले- निर्मोही अखाड़े के हाथ से होना चाहिए राम मंदिर का निर्माण

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. अब निमोही अखाड़ा ने राम मंदिर निर्माण में भागीदारी की मांग की है.

Updated on: 28 Jan 2020, 09:55 PM

नई दिल्ली:

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. अब निमोही अखाड़ा ने राम मंदिर निर्माण में भागीदारी की मांग की है. निर्मोही अखाड़ा जो सनातन और पुरातन समय से चला आ रहा है. यहां तक कि रानी लक्ष्मी बाई ने भी निर्मोही अखाड़े में ही अंतिम सांस ली थी और अब ऐसे अखाड़े को भूला दिया जा रहा है, जिन्होंने न सिर्फ देश की आजादी में योगदान दिया, बल्कि देश की संस्कृति और संस्कार को भी बचाए रखा.

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इस अखाड़े के साधू-संतों का कहना है कि राम मंदिर बनाने का हमारा भी योगदान होना चाहिए, क्योंकि हमारी परंपरा कोई एक-दो दिनों की नहीं है बल्कि देश की आजादी के समय से अब तक हमने हमेशा ही पूरा योगदान दिया है. राजेंद्रदास जी महाराज वृंदावन, राजाराम चन्द्राचार्य जी महाराज डाकोर गुजरात, रामसेवक दास जी महाराज ग्वालियर, सीताराम दास जी महाराज गोवर्धन, धन्वंतरि दास जी महाराज वृन्दावन और हर्षवर्धन कौशिक गोवर्धन की पीठ ने मंगलवार को हार्दिक चोपड़ा व डॉ. राज सिंह को सलाहकार नियुक्त किया है, जो सरकार के साथ कोर्डिनेट करेंगे.

निर्मोही अखाड़े के संत होम सेक्रेटरी से मिलेंगे, ताकि वो अपनी मांगें सरकार तक पहुंचा सके कि सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट के हिसाब से अयोध्या मामले के निर्माण में हमारा क्या योगदान है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट आदेशानुसार निर्मोही अखाड़े को रखा जाए और उन्हें उचित स्थान दिया जाए. जबकि हमारा कहना है कि निर्मोही अखाड़ा 15 सदस्यों से बनता है और उनमें से पांच को कम से कम रखा जाए.

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मुख्य मांग यह है कि निर्मोही अखाड़ा शुरू से राम मंदिर निर्माण से जुड़ा रहा है, इसलिए जब भूमि पूजन किया जाए तब उसमें पहला पत्थर हमारे पंचों द्वारा रखा जाए और मंदिर निर्माण में भी हमारा योगदान हो और सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए नई ट्रस्ट बनाने जा रही है, उसमें निर्मोही अखाड़े के अधिकांश ट्रस्टी को रखा जाए.