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Mulaym Singh Yadav Birthday: एक अध्यापक से लेकर देश के रक्षा मंत्री तक ऐसा रहा है मुलायम का सफर

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) आज अपना 81वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनके जन्मदिन को लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं.

Updated on: 22 Nov 2019, 11:47 AM

लखनऊ:

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) आज अपना 81वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनके जन्मदिन को लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं. इस मौके पर जिला स्तर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के छोटे भाई व प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) भी इस मौके को खास बनाने के लिए बड़ा कार्यक्रम कर रहे हैं. मुलायम सिंह यादव के ज्नमदिन पर आइए जानते हैं उनका सफर.

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समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के पहले अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav Birthday) का जन्म 22 नवंबर सन् 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में हुआ था. मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. मुलायम को देश के उन नेताओं में माना जाता है जो कब पासा पलट दें इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता. मुलायम सिंह की शआदी मालती देवी से हुई. 2003 में उनका देहांत हो गया. फरवरी 2007 में मुलायम सिंह यादव ने अपनी दूसरी शादी की बात सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार की.

पहलवानी का शौक

पहलवानी का शौक रखने वाले मुलायम सिंह यादव ने 15 साल की कम उम्र में ही राजनीतिक अखाड़े में कदम रखा था. इसकी शुरुआत 1954 में हुई थी. उन्होंने समाजवादी विचारधारा के नेता डॉ राम मनोहर लोहिया के नहर रेट आंदोलन में भाग लिया और जेल गए. इस दौरान वे रामसेवक यादव, कर्पूरी ठाकुर, जनेश्वर मिश्र और राज नारायण जैसे दिग्गजों के साथ जुड़े. शुरुआती दिनों में मजदूर, किसान, पिछड़ों, छात्र व अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए जमकर आवाज उठाई.

1989 में बने सीएम

मुलायम सिंह यादव 1960 में राजनीति का हिस्सा बने. लेकिन 1967 में वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार विधायक बने. उन्होंने इटावा की जसवंतनगर सीट से अपना पहला चुनाव जीता. इसके बाद 1974, 1977, 1985, 1992, 1993 और 1996 समेत कुल 8 बार विधानसभा के सदस्य बने. अपातकाल के दौरान 19 महीनों तक वह जेल में भी रहे. आपातकाल ही वह दौर था जो मुलायम सिंह यादव के लिए अहम साबित हुआ. इसी साल वो पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बने.

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मुलायम सिंह यादव 1980 के आखिर में वह यूपी लोक दल के अध्यक्ष बना. बाद में जो जनता दल का हिस्सा बना. मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. नवंबर 1990 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार जब गिर गई तो मुलायम सिंह यादव चंद्रशेखर के की जनता दल (समाजवादी) में शामिल हुए और कांग्रेस के समर्थन से वह सीएम की कुर्सी पर बैठे. कुछ ही दिनों बाद कांग्रेस ने उन्हें झटका दिया और अप्रैल 1991 में कांग्रेस से अपना समर्थन वापस ले लिया जिसके बाद मुलायम सिंह की सरकार गिर गई. 1991 में यूपी में मध्यावधि चुनाव हुए और मुलायम सिंह यादव की पार्टी हार गई और बीजेपी सरकार सत्ता में आ गई.

1992 में सपा का गठन

सत्ता से जाने के बाद मुलायम सिंह यादव ने अपनी अलग पार्टी बनाने का फैसला किया. उन्होंने 4 अक्टूबर, 1992 को लखनऊ के बेगम हजरत महल में सपा के गठन की घोषणा की. ये वो वक्त था, जब उनके पास को विशेष जनाधार नहीं था. 1993 में विधानसभा का चुनाव होने के बाद उन्होंने बसपा के साथ गठबंधन किया. इस साल सपा 256 सीटों पर लड़ी जिसमें से उसने 109 सीटों पर जीत हासिल की. जबकि बहुजन समाज पार्टी ने 164 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की. इस बार मुलायम फिर एक बार गठबंधन के जरिए मुख्यमंत्री बने.

केंद्र की राजनीति में पहुंचे मुलायम

1996 में मुलायम सिंह यादव ने केंद्र की राजनीति में जाने के फैसला किया. केंद्र में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी और वह रक्षा मंत्री बने. हालांकि, यह सरकार ज्यादा लंबे समय तक टिक नहीं पाई. मुलायम पीएम की रेस में भी सबसे आगे थे. एचडी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल की सरकार में 1 जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक वह देश के रक्षा मंत्री भी रहे. 1999 के चुनाव में मुलायम सिंह संभल और कन्नौज सीट से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे.

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उन्होंने संभल की संसदीय सीट से सांसद बने रहना पसंद किया. कन्नौज के उपचुनाव में उनके बेटे अखिलेश यादव पहली बार सांसद बने. 2003 में मुलायम ने फिर से अपनी वापसी की. 2007 तक वह मुख्यमंत्री रहे. 2004 व 2009 में मैनपुरी लोकसभा सीट से वह सांसद बने. 2012 में जब सपा को पूर्ण बहुमत मिला तो उन्होंने खुद मुख्यमंत्री बनने के बजाए अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया. 2019 से वह मैनपुरी सीट से जीत कर संसद पहुंचे.