Mission 2022: सपा में कई जिलाध्यक्षों की होगी छुट्टी, युवाओं को मिलेगी तरजीह
उपचुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद समाजवादी पार्टी मिशन संगठन में जुटेगी. समाजवादी पार्टी टीम में युवाओं को तरजीह देने की तैयारी में है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी के एक तिहाई जिलाध्यक्षों की छुट्टी हो सकती है.
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है. लोक सभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद सपा संगठन को मजबूत करने में जुट गई है. उपचुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद समाजवादी पार्टी मिशन संगठन में जुटेगी. समाजवादी पार्टी टीम में युवाओं को तरजीह देने की तैयारी में है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी के एक तिहाई जिलाध्यक्षों की छुट्टी हो सकती है.
अकेले दम पर लड़ेंगे चुनाव
सपा प्रमुख अखिलेश यादव आगामी विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता की वापसी के लिए सपा ने संगठन को मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए नए सिरे से रणनीति बनाई जा रही है. लोकसभा और विधानसभा चुनावों में गठबंधन की सियासत में झटका खाए सपा प्रमुख अखिलेश यादव अब किसी तरह की गलती नहीं करना चाहते हैं. सूत्रों का कहना है कि चुनाव होने तक जनसमस्याओं को लेकर पार्टी सरकार से दो-दो हाथ करने की तैयारी में है. इसी को लेकर पूरी तैयारी की जा रही है. कई जिलों की समीक्षा भी की जा चुकी है.
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प्रदर्शन के आधार पर मिलेगी संगठन में जगह
पार्टी ने पिछले चुनावों में प्रदर्शन को देखते हुए ही पदाधिकारियों को नई जिम्मेदारी देने की रूपरेखा तैयार की है. पिछले चुनाव में बेहतर प्रदर्शन न करने वाले पदाधिकारियों के बजाए सक्रिय पदाधिकारियों को जगह दी जाएगी. पार्टी में युवाओं को भी वरीयता दी जाएगी जिससे संगठन के तेवर को और तीखा किया जा सके.
फ्रंटल संगठनों को भी नए सिरे संवारा जाएगा. पार्टी युवाओं के संगठनों से उम्रदराज पदाधिकारियों को हटा कर अधिकतम 35 वर्ष आयु वाले नेताओं को ही जगह मिलेगी.
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बाहरी नेताओं को भी मिलेगी जगह
सपा अपने जनाधार और कुनबे को बढ़ाने के लिए अन्य दलों के नेताओं को भी तरजीह देगी. बदलते हालात को देखते हुए अखिलेश यादव ने दागी नेताओं से दूरी रखने के अपने फैसले में भी अब बदलाव किया है. पार्टी को मजबूत करने के लिए नेताओं पर जर्ज मुकदमों को बाधक नहीं बनने दिया जाएगा. जल्द ही सपा में दूसरे दलों के नेताओं को भी महत्वपूर्ण पदों पर देखा जा सकता है.
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सामाजिक समीकरण का भी रखा जाएगा ध्यान
संगठन में सामाजिक समीकरणों का भी गणित भी साधा जाएगा. भाजपा ने जहां अपने संगठन में पिछड़ा वर्ग को तरजीह दी है तो वहीं सपा इसकी काट के लिए अन्य पिछड़े वर्ग को संगठन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की तैयारी में है. सपा दलितों को भी अपने साथ मिलाएगी. बसपा से गठबंधन टूटने के बाद कई दलित नेता सपा के संपर्क में हैं. क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए पुराने क्षत्रपों का भी ध्यान रखने की मंशा है. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद अब सपा सवर्ण वर्ग को भी अपने साथ जोड़ने की तैयारी में है.
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