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पाकिस्तान की ही तरह क्या भारत-नेपाल सीमा भी होगी बंद? BJP सांसद तो यही चाहते हैं, जानें क्यों

भारत-नेपाल की खुली सीमा, गरीबी व वंचना समेत कई कारणों के चलते मानव तस्करी एक ज्वलन्त व विकराल समस्या बन चुकी है!

Updated on: 17 Sep 2019, 12:24 PM

highlights

  • मानव तस्करी रोकने के लिए जरूरी है कि सीमा बंद हो
  • उत्तर प्रदेश के सात जिले भारत-नेपाल सीमा से सटे हैं
  • पूरी सीमा खुली होने के कारण मानव तस्करी होती है

बहराइच:

भारत-नेपाल की खुली सीमा, गरीबी व वंचना समेत कई कारणों के चलते मानव तस्करी एक ज्वलन्त व विकराल समस्या बन चुकी है! प्रति वर्ष हज़ारों बेटियां, महिलाएं, युवा और बच्चे मानव तस्करों के जाल में फंसकर दुनिया के इस दूसरे सबसे बड़े अवैध व्यापार की बलि पर चढ़ाए जा रहे हैं. मानव तस्करी पर बुलाई गई इंडो-नेपाल कांफ्रेंस में शामिल होने के बाद भाजपा सांसद अक्षयबर लाल गौड़ ने कहा कि भारत-नेपाल की सीमा बहुत लम्बी है फिर भी भारतीय संसद में कई बार विचार हुआ है कि क्या हम जैसे पाकिस्तान के बॉर्डर को बाड़ लगा कर रोक रहे हैं उस प्रकार से यहाँ कर कर सकते हैं?

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जिससे पाकिस्तान और अन्य दूसरे देशों के लोग भारत में प्रवेश न कर सकें. इस पर भारत सरकार विचार कर रही है और मुझे लगता है यह बहुत आवश्यक है और यह होना चाहिए. उत्तर प्रदेष के 7 (सात) जिले-बहराईच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, लखीमपुर व पीलीभीत भारत-नेपाल की खुली सीमा पर स्थित हैं. जिनके रास्ते मानव तस्कर इस अनैतिक मानव-व्यापार को अंजाम दे रहे हैं.

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सीमा पर SSB, पुलिस और स्वैच्छिक संस्थाएं मानव तस्करी के विरुद्ध निरन्तर कार्य कर रही हैं. किन्तु विभिन्न प्रकार की नीतिगत कठिनाइयों व रुकावटों के चलते इस अनैतिक व्यापार को जड़ से मिटाना सम्भव नहीं हो पा रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए कैरीटास इन्डिया, नई दिल्ली के साथ मिलकर स्वैच्छिक संस्था-डेवलपमेन्टल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन एडवान्समेन्ट-देहात, पूर्वांचल ग्रामीण सेवा समिति-गोरखपुर, प्रभात तारा-लखनऊ एवं शक्ति समूह-नेपाल द्वारा भारत-नेपाल स्टेकहोल्डर कार्यषाला का आयोजन किया गया.

जिसमें मुख्य अतिथि सांसद-बहराइच अक्षयबर लाल गोंड जबकि विशिष्ट अतिथि अभिषेक पाठक-उप महानिरीक्षक, यूनीसेफ-उत्तर प्रदेश एवं स्काटलैंड से आयीं सुश्री सैडी स्कूलियन मौजूद रहे. BJP सांसद ने कहा कि मानव तस्करी घोर अमानवीय है यह अंतर्राष्ट्रीय अपराध बन चुका है. जिसके लिये सरकारी विभागों, स्वैच्छिक संस्थाओं व सुरक्षा बलों को एक साथ मिलकर काम करना होगा. एक जनप्रतिनिधि के रूप में मैं प्रत्येक स्तर पर इस समस्या के समाधान के लिये प्रतिबद्ध हूं.

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यूनीसेफ-उत्तर प्रदेश, लखनऊ से आये बाल संरक्षण विषेशज्ञ आफताब मोहम्मद ने कहा कि मानव तस्करी के विरुद्ध सरकार की ओर से किये जा रहे हर प्रयास में जन भागीदारी के जरिये मजबूती लाने की ज़रूरत है. देहात संस्था के मुख्य कार्यकारी डा0 जितेन्द्र चतुर्वेदी ने कहा कि सशस्त्र बलों व स्वैच्छिक संस्थाओं के अथक प्रयासों के बावजूद भी मानव तस्करों के जाल को तोड़ना इसलिये सम्भव नहीं हो पा रहा क्योंकि मानव तस्करों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही नहीं हो पा रही है. इसके अतिरिक्त सीमावर्ती जनपदों में बच्चों व महिलाओं के लिये शरणालय का नहीं होना भी मानव तस्करी की रोकथाम में बड़ी बाधा है! इन बाधाओं को खत्म किए बिना समाधान सम्भव नहीं.

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कैरीटास इन्डिया की लीज़ा ने कहा कि भारत व नेपाल की सीमाओं के दोनों ओर मानव तस्करी के विरुद्ध काम करने वाली संस्थाओं को लगातार समन्वयन व नेटवर्किंग करते हुए काम करने की आवश्यक्ता है. कार्यक्रम में बाल कल्याण समिति मैजिस्ट्रेट श्रीमती अन्जुम अजीम, जिला प्रोबेषन अधिकारी वी0पी0 वर्मा, नेपाल की स्वैच्छिक संस्थाएं माईती-नेपाल से केषव कोईराला, विनराक इन्टरनेषनल-नेपाल की कमला पन्त, नेपाली मीडिया से रुद्र सुबेदी, महाराजगन्ज, लखनऊ समेत अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.