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CAA लागू होने के बाद उसका पालन जरूरी : आरिफ मोहम्मद

डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में मंगलवार को 'श्रीराम : वैश्विक सुशासन के प्रणेता' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई. इसमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी पहुंचे और उनके साथ प्रख्यात लेखक तारीक फतेह भी मौजूद रहे.

Updated on: 22 Jan 2020, 08:12 AM

highlights

  • CAA को लेकर देश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कही बड़ी बात.
  • मोहम्मद खान डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में आयोजित एक संगोष्ठि में हिस्सा लेने पहुंचे थे.
  • 'श्रीराम : वैश्विक सुशासन के प्रणेता' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई थी.

अयोध्या:

नागरिकता संशोधन कानून (Citozenship Amendment Act-CAA) को लेकर देश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, "कानून बन जाने के बाद उसका पालन जरूरी है." डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में मंगलवार को 'श्रीराम : वैश्विक सुशासन के प्रणेता' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई. इसमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी पहुंचे और उनके साथ प्रख्यात लेखक तारीक फतेह भी मौजूद रहे.

राज्यपाल ने कहा, "देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह देश के संविधान का पालन करे और उसका सम्मान करे. कानून को चुनौती देने के लिए आप कोर्ट जा सकते हैं, पर यह नहीं कह सकते कि संसद द्वारा बनाए गए कानून को लागू नहीं करेंगे. अगर ऐसा किया जाता है कि तो गलत है. सीएए कानून बन जाने के बाद इसका पालन जरूरी है."

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उन्होंने कहा, "केरल विधानसभा की नियमावली स्पष्ट है. जो विषय राज्य सरकार के अधीन नहीं नहीं आता, उस पर चर्चा नहीं हो सकती. ठीक इसी तरह कोर्ट जाने से पहले राज्यपाल के सामने फाइल पेश की जानी जरूरी है. मुझे इस संबंध में कोई सूचना नहीं दी गई जो कि अनुचित है."

राज्यपाल ने कहा कि ऐसे किसी भी विषय में, जहां राज्य सरकार व केंद्र सरकार के रिश्तों का मामला या सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट से संबंध का मामला हो, वहां बिना राज्यपाल के संज्ञान में लाए बिना फैसला नहीं लिया जा सकता. कानून बिल्कुल इसकी इजाजत नहीं देते. राज्यपाल का एक ही काम होता है, यह देखना कि सरकार संविधान और कानून के अनुरूप चल रही है या नहीं.

विचारक व लेखक तारिक फतेह ने कहा कि अयोध्या में राममंदिर निर्माण से हिंदुओं और मुस्लिमों का तलाक खत्म होगा. उन्होंने इशारों में इतिहास के पुनर्लेखन की वकालत करते हुए कहा, तमाम ऐसे राजा और शासक हुए, जिन्होंने आक्रमणकारियों को खदेड़ा, लेकिन उनके बारे में युवा नहीं जानते.

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उन्होंने भारतीयों की चिरपरिचित उदारता की कमजोरियों के साथ इसकी खूबियों का भी उल्लेख किया और कहा कि इस देश के प्रति मुस्लिमों का जो सुलूक रहा है, उसके चलते उन्हें मतदान तक का अधिकार न मिलता, पर शुक्र है कि वे हिंदुस्तान में हैं.

तारिक ने इस्लामिक आक्रांताओं की बर्बरता और उसके बाद भारत की अस्मिता को चोट पहुंचाने के लिए मुस्लिमों को माफी मांगने की सलाह दी और कहा कि उन्हें तभी इंसाफ मिलेगा, जब वे अपने पूर्वजों के गुनाह न कुबूल कर लें.