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शहीद को सम्मान नहीं दे पा रहा है जिला प्रशासन, किए गए वादे आज तक नहीं हुए पूरे

26 जुलाई को जब पूरा भारत गर्व के साथ कारगिल विजय दिवस के मौके पर शहीदों को याद करते हुए नमन कर रहा है. देश पर मर मिटने वाले वीर सपूतों को देश याद कर रहा है.

Updated on: 26 Jul 2019, 07:27 PM

highlights

  • शहीद स्थल और घर के बाहर लगा हुआ है गंदगी का अंबार
  • सरकार ने जो वादे किए वो नहीं हुए आज तक पूरे
  • शहीद के परिजनों को भी नहीं मिला लाभ

नई दिल्ली:

26 जुलाई को जब पूरा भारत गर्व के साथ कारगिल विजय दिवस के मौके पर शहीदों को याद करते हुए नमन कर रहा है. देश पर मर मिटने वाले वीर सपूतों को देश याद कर रहा है. शहीदों के परिवार आज खुद पर फख्र महसूस कर रहे हैं. वहीं हाथरस के एक शहीद का परिवार ऐसा है जो शहीद दिवस के मौके पर फख्र नहीं महसूस कर रहा है.

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पूरा परिवार शहीद की याद में बने शहीद स्मारक और घर के बाहर लगे गंदगी के अंबार से परेशान है. कारगिल युद्ध के दौरान हाथरस के कस्बा सादाबाद के शहीद चौधरी गजपाल सिंह का परिवार आज के दिन उदास है. उनकी उदासी का कारण घर के बाहर लगी गंदगी है. साल 1999 में 8 मई से 26 जुलाई तक चले कारगिल युद्ध के दौरान 527 जवान शहीद हुए थे.

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इसी में हाथरस के सादाबाद क्षेत्र के ग्राम पंचायत नौगांव के मजरा नगला चौधरी निवासी रामकिशन सूबेदार के पुत्र चौधरी गजपाल सिंह भी कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे. अपनी वीरता का परिचय देते हुए उन्होंने पाकिस्तानी फौजियों के साथ लोहा लिया. लेकिन अचानक से प्रकृति की मार उन्हें झेलनी पड़ी. बर्फीले तूफान में जवान चौधरी गजपाल सिंह सहित आधा दर्जन सैनिक फंस गए.

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करीब 45 दिन बाद शहीद का पार्थिव शरीर गांव में पहुंचा. जिला प्रशासन और सेना के जवानों की मौजूदगी में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. उस समय शहीद चौधरी गजपाल सिंह के परिवार से शासन प्रशासन और तत्कालीन सरकार ने जो भी वादे किए थे वह आज तक नही पूरे हो पाए हैं.

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हाल यह है कि जिला प्रशासन के किसी भी कार्यक्रम में चौधरी गजपाल का नाम तक नहीं लिया जाता. शहीद गजपाल के पिता रामकिशन भी सेना में थे. साल 1997 में सूबेदार के पद से वह रिटायर हुए थे. रामकिशन ने विजय दिवस की पूर्व संध्या पर बताय कि सरकारी मशीनरी का हाल यह है कि थाने, तहसील या अन्य सरकारी दफ्तरों में किसी भी तरह की कोई सुनवाई नहीं होती है.

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वह खुद भी करीब एक साल से बीमार हैं. निजी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं. शहीद स्थल के आगे जलभराव की स्थिति बनी हुई है. शायद 20 सालों के बाद अब प्रशासन जागे और शहीद के परिजनों को सम्मान दे.