गोरखनाथ मंदिर बना राम मंदिर आंदोलन' का प्रमुख केंद्र, तीन पीढ़ियों ने उठाई आवाज
अयोध्या मामले को लेकर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के हक में अपना फैसला सुनाया. अयोध्या में अब भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा.
गोरखपुर:
अयोध्या मामले को लेकर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के हक में अपना फैसला सुनाया. अयोध्या में अब भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा. अयोध्या राम जन्मभूमि को लेकर जब भी कोई महत्वपूर्ण छण आया, गोरखनाथ मंदिर का सदैव उससे संबंध रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी और उनके गुरु रहे दिग्विजयनाथ जी ने राम जन्मभूमि आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और आंदोलन की दशा और दिशा तय करने में मत्वपूर्ण भूमिका निभाई. गोरखनाथ मठ की तीन पीढ़ियों ने राम मंदिर निर्माण के लिए सदैव आवाज मुखर रखी.
गोरक्षनाथ पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री हैं जो अब आयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेंगे. रामलला के प्रकटीकरण में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख प्रणेता माने जाते हैं.
अयोध्या में 1949 को रामलला की मूर्ति रखने के पीछे गोरक्षनाथ पीठ के तत्कालीन महंत दिग्विजयनाथ जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही. 22-23 दिसम्बर 1949 को जब आयोध्या में रामलला का प्रकटीकरण हुआ तो उस समय महंत दिग्विजयनाथ जी कुछ साधु संतों के साथ वहां कीर्तन कर रहे थे.
राम जन्मभूमि का ताला खोलने पहुंचे ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी 1986 में फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने हिन्दू समुदाय की प्रार्थना पर राम जन्मभूमि के दरवाजे पर लगे ताले को खोलने का आदेश दिया. तो वहां ताला खोलने के लिए ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी मौजूद थे. महंत अवेद्यनाथ राम मंदिर आंदोलन का प्रमुख चेहरा थे. वे पूरे संत समाज का नेतृत्व कर रहे थे. गोरखनाथ मंदिर राम जन्मभूमि आंदोलन का केंद्र बन गया था.
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