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GSI ने सोनभद्र के पहाड़ियों में 3 हजार टन सोना के दावे को किया खारिज, जानें क्या है पूरी सच्चाई

उत्तर प्रदेश सरकार जिस तरह से दावे कर रही थी, लेकिन GSI को कुछ खास नहीं मिला. जिस नतीजे की अपेक्षा थी, वैसे नहीं मिले.

Updated on: 22 Feb 2020, 10:40 PM

सोनभद्रपुर:

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) Geological Survey of India) ने उत्तर प्रदेश सरकार (Yogi Adityanath) के उस दावे की हवा निकाल दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सोनभद्र में सोने की खादान है. जीएसआई का कहना है कि उसने सोनभद्र में सोने की खदानों का पता लगाने के लिए तमाम प्रयास किए, लेकिन कहीं कुछ नहीं मिला. उत्तर प्रदेश सरकार जिस तरह से दावे कर रही थी, लेकिन GSI को कुछ खास नहीं मिला. जिस नतीजे की अपेक्षा थी, वैसे नहीं मिले. सोनभद्र के खादान में 3350 टन सोना होने के दावा को GSI ने खारिज कर दिया है. सोनभद्र के सोने की खदान के दावे को देश के कुल गोल्ड रिजर्व से 5 गुना ज्यादा बता दिया गया.

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3000 टन सोना मिलने की ऐसी कोई सूचना नहीं 

जीएसआई ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में करीब 3000 टन सोना मिलने की ऐसी कोई सूचना नहीं है. जबकि यूपी के जिला खनन अधिकारी ने यह दावा किया था. जीएसआई के महानिदेशक एम श्रीधर ने कोलकाता से यह जानकारी दी थी. उन्होंने कहा कि जीएसआई की ओर से इस तरह का डाटा किसी को नहीं दिया जाता. जीएसआई ने सोनभद्र जिले में इतना सोना होने का कोई अनुमान नहीं लगाया है. श्रीधर ने कहा कि सोने के लिए जीएसआई की खुदाई संतोषजनक नहीं थी और सोनभद्र जिले में सोने के विशाल स्रोत के परिणाम भी बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं थे.

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हरदी क्षेत्र में सोने का भंडार का दावा

सोनभद्र के जिला खनन अधिकारी केके राय ने एक दिन पहले शुक्रवार को कहा था कि जिले की सोन पहाड़ी और हरदी क्षेत्र में सोने का भंडार मिला है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) द्वारा सोनभद्र जिले में सदर तहसील क्षेत्र की सोन पहाड़ी और हरदी पहाड़ी में तीन हजार टन से ज्यादा सोना होने की पुष्टि के बाद यहां ई-टेंडरिंग की सरकारी प्रक्रिया शुरू हो गई थी. इन खदानों से निकले सोना की वजह से भले ही देश-दुनिया में सोनभद्र का नाम सबसे ऊपर आ जाए, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि सोन पहाड़ी में खनन से पनारी गांव पंचायत के ढाई सौ परिवार और हरदी पहाड़ी में खनन से हरदी, पिंडरा दोहर व पिपरहवा गांव के दो सौ आदिवासी परिवार बेघर यानी विस्थापित होंगे.

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दो बीघे जमीन से भी हाथ धोना पड़ेगा

सोनभद्र आदिवासी बहुल इलाका है और अल्पभूमि के मालिक बैगा और गोंड़ जाति के आदिवासी कृषि एवं जंगली जानवरों के शिकार के जरिये अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं. यदि इन्हें बेघर होना पड़ा तो यह तय है कि इन्हें झोपड़ी के अलावा अपनी बीघे-दो बीघे जमीन से भी हाथ धोना पड़ेगा. हालांकि राज्य सरकार की ओर से प्रशासन मुआवजे के तौर पर कुछ रकम जरूर देगा. ग्राम पंचायत पंडरक्ष के पूर्व ग्राम प्रधान और वनवासी सेवा आश्रम से जुड़े पर्यावरण कार्यकर्ता रामेश्वर गोंड बताते हैं, पंडरक्ष ग्राम पंचायत क्षेत्र में हरदी, पिंडरा दोहर और पिपरहवा गांव आते हैं. यहां ज्यादातर बैगा और गोंड आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. ये गांव हरदी पहाड़ी के तीन तरफ बसे हैं. इस इलाके से अब निश्चित तौर पर आदिवासियों को विस्थापित किया जाएगा.