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'राजीव गांधी पारसी थे' योगी के करीबी स्वामी चिन्मयानंद ने बताया पूर्व PM का धर्म

पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने अपने एक बयान से विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि भारत ने सभी धर्मों का बेहद सम्मान किया है.

Updated on: 10 Aug 2019, 04:39 PM

highlights

  • राजीव गांधी के पिता फिरोज पारसी थे
  • 1982 में राजीव गांधी ने राजनीति में एंट्री की
  • इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वह प्रधानमंत्री बने

लखनऊ:

पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने अपने एक बयान से विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि भारत ने सभी धर्मों का बेहद सम्मान किया है. हर उस धर्म का जिसके साथ अन्नाय हुआ या मदद की जरूरत पड़ी भारत ने उसे शरण दी है. पारसी धर्म जहां पैदा हुआ वहां पर खत्म हो गया. लेकिन भारत ने उसे यह सम्मान दिया. इतना ही नहीं भारत ने एक पारसी को प्रधानमंत्री तक बना दिया. स्वामी चिन्मयानंद ने आगे कहा कि राजीव गांधी पारसी थे और भारत के प्रधानमंत्री बने.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद बेहद करीबी माने जाते हैं. स्वामी चिन्मयानंद योगी आदित्यानाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ के प्रिय थे. इसी लिए योगी आदित्यनाथ उन्हें अपने बड़े भाई से भी ज्यादा सम्मान देते हैं. जब योगी मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने चिन्मयानंद को फोन करके इस बात की जानकारी दी थी. जिसके बाद स्वामी चिन्मयानंद ने खुशी के मारे डांस भी किया था. जिसका वीडियो भी सामने आया था.

राजीव के पिता फिरोज पारसी थे

राजीव गांधी के धर्म का विवाद कोई नया नहीं है. राजीव के पिता फिरोज गांधी एक पारसी थे. लेकिन दिल का दौरा पड़ने के बाद जब उनका निधन हुआ तो उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किया गया था. ऐसा इस लिए क्योंकि जब फिरोज को पहली बार दिल का दौरा पड़ा था तो उन्होंने अपने दोस्तों से कहा था कि वह अपना अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से करवाना पसंद करेंगे.

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क्योंकि उन्हें अंतिम संस्कार का पारसी तरीका बिल्कुल भी पसंद नहीं है. फिरोज के अंतिम संस्कार के बाद उनकी आधी राख को इलाहाबाद के संगम में प्रवाहित कर दिया गया. वहीं आधी राख को इलाहाबाद के पारसी कब्रगाह में दफना दिया गया.

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राजीव गांधी की राजनीति में कोई रुचि नहीं थी. वो एक एयरलाइन्स में नौकरी करते थे. 1980 में अपने छोटे भाई संजय गांधी की एक आकस्मिक हवाई दुर्घटना में मौत के बाद उन्होंने अपनी मां इंदिरा गांधी को सपोर्ट देने के लिए 1982 में राजनीति में प्रवेश किया. वह अमेठी से जीतकर सांसद बने थे. 31 अक्टूबर को इंदिरा गांधी की हत्या किए जाने के बाद वह भारत के प्रधानमंत्री बने और अगले आम चुनाव में बहुमत हासिल किया.