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सपा में दलितों को मिलेगी बड़े ओहदों पर जगह, अखिलेश जल्द करेंगे घोषणा

लोकसभा चुनाव में एकदूसरे का साथ थामने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश और बसपा अध्यक्ष मायावती की राहें अब अलग हो चुकी हैं. गठबंधन टूटने के बाद अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मायावती के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी कर ली है.

Updated on: 23 Oct 2019, 11:44 AM

लखनऊ:

लोकसभा चुनाव में एकदूसरे का साथ थामने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश और बसपा अध्यक्ष मायावती की राहें अब अलग हो चुकी हैं. गठबंधन टूटने के बाद अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मायावती के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी कर ली है. सपा में दलितों को प्रमुख ओहदे पर जगह दी जाएगी. इसके लिए वह पार्टी के जल्द घोषित की जाने वाली समितियों में दलितों को ओहदे देने का प्लान बना रहे हैं. उपचुनाव के परिणाम के बाद एसपी की भंग जिला और दूसरी कमिटियों का गठन किया जा सकता हैं. इनमें कई कई चेहरों को प्रमुख पदों पर स्थान मिल सकता है.
पार्टी के एक पूर्व मंत्री के मुताबिक जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर के संगठन का गठन होगा. कमिटियों में सामान्य के साथ पिछड़े, अति पिछड़े, मुस्लिम को तो तवज्जों दी ही जाएगी, दलित वर्ग को भी खास जिम्मेदारी मिलेगी. सपा दलित समाज के ऐसे चेहरों की तलाश कर रही है जिनकी समाज में अच्छी पैठ हो. ऐसे लोगों का चयन कर उन्हें जिम्मेदार पदों पर बैठाया जाएगा. इन्हें दलित समाज के लोगों को सपा के साथ जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.

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दलित वोट बैंक पर सपा साधेगी निशाना
बसपा के साथ गठबंधन के दौरान बसपा के कई दलित नेताओं की सपा के साथ नजदीकियां बढ़ी थी. मजबूत जनाधार वाले कई नेताओं को सपा में शामिल किया जा सकता है. वहीं पार्टी के मुख्य पदों पर तैनात किए गए दलित पदाधिकारियों को चरणबद्ध योजना देकर समाज के लोगों को पार्टी से जोड़ने का काम मिलेगा.

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बीएसपी के सिर फोड़ा जाएगा ठीकरा
समाजवादी पार्टी ने प्लान बनाया है कि गठबंधन तोड़ने का ठीकरा बीएसपी के सिर फोड़ा जाए. सपा ऐसे दलित लोगों को पार्टी से जोड़ने का काम करेगी जिसने गठबंधन टूटने के वक्त सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताई थी. सपा दलितों को यह समझाने की कोशिश करेगी कि बीजेपी का मुकाबला सिर्फ सपा ही कर सकती है. लोगों को समझाया जाएगा कि बसपा का जनाधार सिर्फ दलित वर्ग में है. बसपा दलितों के वोट बैंक को लुभाने की काम करती है.