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प्रियंका गांधी ने उठाया बीड़ा, तलाश रहीं यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने वाले कंधे

कांग्रेस अब जिलों में ऐसे मजबूत कंधों का ढूढ़ रही है, जो पार्टी का भार मजबूती से उठा सके.

Updated on: 20 Aug 2019, 01:35 PM

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश की सभी कमेटियों को भंग कर दिया है. इसके बाद से पार्टी अभी पूरे प्रदेश में इकाई विहीन है. कांग्रेस अब जिलों में ऐसे मजबूत कंधों का ढूढ़ रही है, जो पार्टी का भार मजबूती से उठा सके. पार्टी को प्रदेश में फिर से मजबूत करने का बीड़ा पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने उठाया है. उन्होंने पार्टी के अंदरूनी हालात को दुरुस्त करने और जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम शुरू करने के लिए नेता विधानमंडल दल अजय कुमार लल्लू को ऐसे कार्यकर्ताओं को चिन्हित करने की जिम्मेदारी सौंपी है, जो संगठन को मजबूत कर सकें. हालांकि वह पूरे प्रदेश का दौरा कर चुके, लेकिन अभी कुछ परिणाम सामने आता दिख नहीं रहा है.

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प्रियंका गांधी लंबे समय से दिल्ली में पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिला-शहर इकाइयों के गठन को लेकर मंथन कर रही हैं. सभी जिला-शहर कमेटियां भंग हैं और इनकी जगह नई कमेटियां बननी हैं. प्रियंका चाहती हैं कि इस बार संगठन में ऊर्जावान और मेहनती लोगों को तरजीह मिले, जिससे लंबे समय से मृतप्राय स्थानीय कमेटियों में जान आ सके. इसीलिए रोजाना दो-तीन जिलों के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक कर संगठन को मजबूती देने में लग चुकी हैं. इसी के साथ उनकी कोशिश कार्यकर्ताओं को आंदोलनों के लिए तैयार करने की है. 

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल का कहना है, 'कांग्रेस को अब ऐसे लोग मिलेंगे जो किसी भी तरह राजनीतिक पार्टी से जुड़ना चाहते हैं, लेकिन उनकी कोई विचारधारा नहीं होगी. अभी उनको ऐसी सोच वाले लोग मिलेंगे जो राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करने जा रहे हैं. कोई बड़ा नेता इसके साथ गंभीरता से नहीं जुड़ेंगे. अभी कांग्रेस के पास लीडरशिप का आभाव है. प्रियंका भले ही संघर्ष करें, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ेगा. प्रियंका को प्रदेश अध्यक्ष बना दें, तब पार्टी में जान आ जाएगी.'

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उन्होंने कहा कि अभी कांग्रेस में राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर केवल कार्यवाहक अध्यक्ष हैं. कोई स्थायी अध्यक्ष और लीडर नहीं है. पार्टी से जुड़ने वाला व्यक्ति नेतृत्व को देखता है. हालांकि कांग्रेस की अपनी पहचान है, लेकिन उसे आगे बढ़ाने के लिए मजबूत चेहरे की जरूरत है. कांग्रेस की सोच है कि वह पार्टी को नीचे से ऊपर को मजबूत करें. ऐसे में मजबूती नहीं आएगी. कांग्रेस को ऊपर से लीडरशिप को मजबूत करना होगा. इनकी प्रतियोगिता और संगोष्ठी मनाने से लोगों का जुड़ाव नहीं होगा. अगर किसी पीआर के चक्कर में ऐसा कर रहे हैं तो कांग्रेस को भी लोग छपास वाली पार्टी का नाम देंगे.

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, 'अभी तक संगठन में कार्यकर्ता वरिष्ठ नेताओं के प्रतिनिधि के तौर पर काम करते आए हैं. उनको पार्टी की विचारधारा से कोई मतलब नहीं है. इसी कारण पार्टी में विचारवान कार्यकर्ता की कमी देखी जा रही है. पिछले दिनों हमारी महासचिव प्रियंका गांधी इस बात को लेकर नाराज भी हुई थीं. इसके बाद से उन्होंने संगठन को पूरी तरह बदलने को कहा था. उनकी मंशा है कि संगठन में ऐसे नौजावानों को ढूंढ़कर संगठन में जोड़ा जाए जो कांग्रेस की विचारधारा में यकीन रखते हों.'

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उन्होंने बताया कि जिलों-जिलों में एक दो टीम ऐसे कार्यकर्ताओं को खोज रही है, जो जिला कमेटी से लेकर संगठन में और भी दायित्व संभाल सकें. उन्होंने बताया कि प्रियंका का पहले जुलाई माह में ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में जाने का कार्यक्रम था जो पहले सोनभद्र की घटना और फिर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के असमायिक निधन के कारण स्थगित हो गया था. लेकिन और भी लोग चाहते हैं कि पहले जिला-शहर अध्यक्षों की तैनाती हो और उसके बाद प्रियंका गांधी दौरे पर जाएं. नई इकाइयां राष्ट्रीय महासचिव के कार्यक्रमों का आयोजन कराए. 

कांग्रेस के प्रवक्ता ब्रजेंद्र सिंह ने कहा कि नई व्यवस्था होने तक पुरानी व्यवस्था बहाल है. हर चीज की तैयारी कराई जा रही है. फिलहाल हमारा काम दिल्ली का नेतृत्व प्रियंकाजी की देखरेख में चल रहा है. जल्द ही पूरे प्रदेश के 75 जिलों में हमारी ऊर्जावान कमेटियां दिखेंगी.

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