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चिन्मयानंद कांड : पीड़िता ने एसआईटी को सौंपे 43 वीडियो, स्वामी को बताया 'ब्लैकमेलर'

पीड़िता ने खुद के नहाते समय के वीडियो (कथित तौर पर स्वामी द्वारा बनवाया गया) के अलावा और भी तमाम आपत्तिजनक वीडियो जांच एजेंसी को सौंपे हैं.

Updated on: 14 Sep 2019, 10:00 PM

highlights

  • पीड़िता ने पुलिस को सौंपे 43 वीडियो
  • पीड़िता ने स्वामी को बताया ब्लैकमेलर
  • DGP और SIT चीफ ने साधी चुप्पी

नई दिल्‍ली:

यौन उत्पीड़न मामले में फंसे भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. पीड़िता और उसके परिवार ने एसआईटी को चिन्मयानंद के खिलाफ एक-दो नहीं, बल्कि 43 वीडियो सौंप दिए हैं और स्वामी को 'ब्लैकमेलर' कहा है. सूत्रों के मुताबिक, पीड़िता ने कहा है कि "चिन्मयानंद ने ही नहाते समय का मेरा (पीड़िता) वीडियो अपने विश्वासपात्र से तैयार करवाया था. वीडियो हाथ लगते ही चिन्मयानंद ने मुझे ब्लैकमेल कर हवस का शिकार बनाना शुरू कर दिया."

सूत्रों ने मीडिया को बताया कि फिलहाल एसआईटी ने पीड़ित पक्ष की तरफ से मुहैया कराए गए वीडियो और बाकी अन्य तमाम सीलबंद चीजों को फॉरेंसिक टीम के हवाले कर दिया है, ताकि 23 सितंबर को जब एसआईटी मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट के साथ हाईकोर्ट की निगरानी पीठ के सामने पेश हो, तब वहां वह सब कुछ साफ-साफ बता सके. इस बीच, पीड़िता और उसके परिवार ने शनिवार को स्थानीय मीडिया से कहा है कि स्वामी के खिलाफ जो सबूत पीड़ित पक्ष ने इकट्ठे किए थे, उनमें से काफी हद तक हटा-मिटा दिए गए हैं. अभी तक हालांकि पीड़िता एसआईटी जांच पर भरोसा जता रही थी.

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यह खबर पीड़िता और उसके परिवार को कहां से मिली? इस सवाल का माकूल जवाब पीड़ित पक्ष के पास नहीं था. उन्होंने बस इतना कहा, "एसआईटी क्या कर रही है, हमें सब मालूम चल रहा है!" भला एसआईटी इतने विवादित जांच की प्रगति रिपोर्ट को हाईकोर्ट की पीठ के सामने ले जाने से पहले ही उसके बारे में पीड़ित पक्ष को क्यों रही है? यह सवाल आसानी से गले नहीं उतर रहा है. विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, पीड़िता ने खुद के नहाते समय के वीडियो (कथित तौर पर स्वामी द्वारा बनवाया गया) के अलावा और भी तमाम आपत्तिजनक वीडियो जांच एजेंसी को सौंपे हैं. हालांकि पीड़िता के इन बयानों की पुष्टि के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह से लेकर राज्य पुलिस प्रवक्ता और एसआईटी का नेतृत्व कर रहे महानिरीक्षक नवीन अरोड़ा तक कोई बात करने को तैयार नहीं है.

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मीडिया ने पुलिस के इन आला अधिकारियों से यह जानने के लिए भी संपर्क करने की कोशिश की कि क्या लड़की की शिकायत पर (सात दिन बाद भी) एसआईटी ने एफआईआर में दुष्कर्म की धारा जोड़ दी है? लेकिन किसी की भी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है. एसआईटी पहले से ही पूरे प्रकरण में मुंह बंद किए हुए है. उसका कहना है कि "जांच की निगरानी इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय विशेष पीठ कर रही है."

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यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मामले का भंडाफोड़ होने के शुरुआती दौर से ही पीड़ित परिवार उप्र पुलिस पर स्वामी चिन्मयानंद की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मदद करने का आरोप लगाने लगा रही है. गौर करने वाली बात यह भी है कि इतने हाईप्रोफाइल मामले में नियमानुसार प्रतिदिन पुलिस-ब्रीफिंग की भी मीडिया उम्मीद लगाए बैठी थी, लेकिन पुलिस ने पहले दिन से लेकर शनिवार तक पूरे प्रकरण में एक भी अधिकृत जानकारी मीडिया को नहीं दी है.

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