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UP-2022 के लिए अभी से प्रत्याशी तलाशेगी बीजेपी

उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी का 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटने को प्लान है. पार्टी इस बार हर सीट पर काफी सोच विचार के बाद प्रत्याशी का चयन करेगी.

Updated on: 21 Oct 2019, 12:41 PM

highlights

  • 2022 विधानसभा के लिए भाजपा अभी से शुरू करेगी प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया
  • पार्टी स्थानीय जिलाध्यक्ष और सांसद से दो-दो और आरएसएस कार्यकर्ताओं से मांगेगी चार नाम
  • हर विधानसभा से कुल आठ नामों का किया जाएगा चयन, इन्हीं में से एक नाम पर लगेगी मुहर

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी का 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटने को प्लान है. पार्टी इस बार हर सीट पर काफी सोच विचार के बाद प्रत्याशी का चयन करेगी. कोशिश होगी कि जनता से जुड़ने में किसी भी तरह की कोई कसर न छोड़ी जाए. प्रत्याशी के चयन के लिए कई स्तर से नाम मांगा जाएगा. इसके बाद स्क्रटनी में भी काफी सावधानी बरती जाएगी. हर विधानसभा क्षेत्र में ऐसे प्रत्याशी की तलाश की जाएगी जो दमदार और जनाधार वाला नेता हो. क्षेत्र में उसकी पहचान हो. इसके बाद ही प्रत्याशी के नाम का चयन किया जाएगा.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रत्याशी के चयन में इस बार की रणनीति पिछले विधानसभा चुनाव से अलग रहेगी. बीजेपी ने इस बार हर विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2019 में मिली जीत और यूपी सरकार के पांच साल के काम को आधार बनाकर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया है. पार्टी की यह नीति पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई विधायकों के लिए खतरा साबित हो सकती है. दरअसल 2019 में जहां पूरे देश में बीजेपी की लहर थी वहीं. मुरादाबाद मंडल में बीजेपी सभी सीटें हार गई. यहां सभी सीटों पर सपा और बसपा ने कब्जा किया. यही हाल मेरठ और सहारनपुर मंडल का भी रहा. यहां अधिकांश विधान सभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा होने के बाद भी यहां बीजेपी हार गई. अगर बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को आधार बनाकर प्रत्याशियों का चयन करती है तो कई वेस्ट यूपी के कई मौजूदा विधायकों का पत्ता साफ हो सकता है.

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जिलाध्यक्ष, सांसद और आरएसएस कार्यकर्ता
2022 विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के लिए बीजेपी की रणनीति तीन स्तर से प्रत्याशी का चुनाव करने पर है. जानकारी के मुताबिक बीजेपी हर सीट पर आठ प्रत्याशी के नाम मांगेगी. इसके लिए दो नाम जिलाध्यक्ष, दो सांसद और चार नाम आरएसएस के जिलों में तैनात प्रदेश और जिला पदाधिकारियों से लिए जाएंगे. हालांकि इन नामों के बाद भी पार्टी खुद या किसी अन्य एजेंसी से गुप्त सर्वे करा जिताऊ और दमदार प्रत्याशी की तलाश कर सकती है.

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जनाधार की कसौटी पर परखे जाएंगे दावेदार
पार्टी अगले विधानसभा चुनाव के लिए जनता के बीच भागीदारी रखने वाले नेता का नाम ही प्रत्याशी के तौर पर तय करेगी. किसी भी प्रत्याशी के नाम का चयन करने से पहले उसकी सार्वजनिक छवि के साथ ही उसके जनाधार और आर्थिक स्थिति का आंकलन भी किया जाएगा. पार्टी जातीय समीकरण को भी नजरअंदाज नहीं करेगी. अगर किसी दावेदार की क्षेत्र जनता के बीच पहुंच है, जातीय समीकरण में भी फिट बैठता है और उसकी जीत की भी संभावनाएं हैं तो आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर भी पार्टी उस प्रत्याशी तो चुनाव मैदान में उतार सकती है.