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CAA प्रदर्शन : योगी सरकार को मिली हाईकोर्ट से बड़ी राहत, कोर्ट ने कह दी ये बात

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन व हिंसा के बाद हो रही कार्रवाई पर राज्य सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने सरकारी कार्रवाई के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

Updated on: 08 Jan 2020, 11:10 AM

प्रयागराज:

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन व हिंसा के बाद हो रही कार्रवाई पर राज्य सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने सरकारी कार्रवाई के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि याची यह बताने में विफल रहा है कि सरकारी कार्रवाई उसके या ग्रुप के मूल अधिकारों के विपरीत रही है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खंडपीठ ने लखनऊ के रहने वाले अधिवक्ता रजत गंगवार की याचिका को खारिज करते हुए दिया है.

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हाईकोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में जनता को यह अधिकार है कि वह सरकार की नीतियों का विरोध कर सकती है. प्रदर्शन करने का मूल अधिकार नागरिकों को प्राप्त है. लेकिन यह दूसरों के मूल अधिकारों के विपरीत नहीं इस्तेमाल किया जा सकता. लोगों को सड़क पर विरोध प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन उन्हें यातायात में व्यवधान डालने का अधिकार नहीं है. प्रदर्शन के वक्त एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड आदि जरूरी सेवाओं को रोका नहीं जा सकता. इसका साथ ही राज्य सरकार को कानून व्यवस्था कायम रखने का कानूनी अधिकार है.

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याचिका की सुनवाई शीतकालीन अवकाश में की गई. इस याचिका पर अधिवक्ता कुनाल शाह, अभिनव भट्टाचार्य एवं राज्य के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता निमाई दास व स्थाई अधिवक्ता बीपी सिंह कछवाहा ने बहस की. राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि हिंसा के मामले में प्रदेश के 34 जिलों के 1022 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन सभी जिलों में CAA के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई है. प्रदर्शन में आगजनी व तोड़फोड़ की गई. साथ ही साथ इस हिंसा में अलीगढ़, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बुलंदशहर, कानपुर, रामपुर, गोरखपुर व वाराणसी में 17 लोगों की जान चली गई. जबकि सैकड़ों लोग घायल हो गए.

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आपको बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ, मेरठ, हापुड़, सहारनपुर, रामपुर, फीरोजाबाद, कानपुर नगर, मुजफ्फरनगर, मऊ, अलीगढ़, गोरखपुर व बुलंदशहर के डीएम को नुकसान का आकलन करके दोषियों से वसूली का आदेश दिया है. वीडियो, सीसीटीवी फुटेज और फोटोग्राफ के सहारे दोषियों की पहचान की जा रही है.

कोर्ट ने अपने निर्णय में सबसे खास बात यह कही कि अगर कोई ग्रुप प्रदर्शन निकालता है तो उस दौरान हुई हिंसा के लिए वह ग्रुप जिम्मेदार होगा. वह अपनी जवाबदेही से यह कहकर नहीं बच सकता कि हिंसा बाहरी लोगों ने की है. हर घटना के लिए विरोध मार्च निकालने वाले लोगों की जवाबदेही होगी.