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AyodhyaVerdict: 2010 में जानें इलाहाबाद हाई कोर्ट का क्या था फैसला

इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने अयोध्या मामले (Ayodhya Verdict) में में 2010 में अपना फैसला सुनाया था.

Updated on: 09 Nov 2019, 02:00 AM

नई दिल्ली:

देश के सबसे पुराने मामले अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट (Ayodhya case) शनिवार को फैसला सुनाएगा. पांच जजों की संवैधानिक पीठ इस फैसले को पढ़ेगी. जजों की पीठ सुबह 10.30 बजे कोर्ट में बैठेगी और इसके बाद फैसला सुनाएगी. 40 दिन तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में 2010 में अपना फैसला सुनाया था. हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. 30 सितंबर 2010 को हाई कोर्ट ने अयोध्या के विवादित स्थल को राम जन्मभूमि करार दिया था. हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा कर दिया था. कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्माही अखाड़ा और रामलला के बीच जमीन बराबर बांटने का आदेश दिया था.

केस से जुड़ी तीनों पार्टियां निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी वक्फ बोर्ड और रामलला विराजमान ने यह फैसला मानने से मना कर दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर की गई. यह मामला पिछले नौ वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था. इस मामले की 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू हुई जो 16 अक्टूबर को खत्म हुई.

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस पीठ में न्यायमूर्ति बोबडे, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर थे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अयोध्या में धारा 144 लागू है. साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. अयोध्या में अर्धसैनिक बलों के 4000 जवानों को तैनात किया गया है. अधिकारी ने बताया, राज्यों को सभी संवेदनशील स्थानों पर पर्याप्त सुरक्षाकर्मी तैनात रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि देश में कहीं भी कोई अप्रिय घटना न हो.