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मंदिर-मस्जिद चर्चा के बीच अयोध्या ने सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश की

अंसारी ने कहा, ‘‘मैं इन सभी विवाह समारोहों में शामिल होने जा रहा हूं. पांच ‘विवाह’ के और दो ‘निकाह’ के न्योते हैं. मेरा परिवार उन सबको बहुत अच्छी तरह से जानता है.

Updated on: 20 Nov 2019, 06:00 PM

अयोध्या:

अयोध्या मामले के मुख्य पक्षकारों में से एक इकबाल अंसारी के घर इन दिनों शादी के कई निमंत्रण कार्ड आये हुए हैं, जिनकों लेकर वह बड़े ही गर्व से कहते हैं कि पांच परिवारों ने ‘‘शादी’’ का जबकि दो ने ‘‘निकाह’’ के लिए आमंत्रित किया है, जो यह संकेत देता है कि सांप्रदायिक तनाव के दौर में एक सौहार्दपूर्ण भारत का उदय हो रहा है. उन्होंने बताया कि ये सभी आमंत्रण अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद आये हैं. उल्लेखनीय है कि हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने एक सदी से भी अधिक पुराने अयोध्या मामले का निपटारा करते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें न्यायालय ने राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया और केंद्र सरकार को मस्जिद बनाने के लिए कहीं दूसरी जगह पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने का निर्देश दिया.

अंसारी ने कहा, ‘‘मैं इन सभी विवाह समारोहों में शामिल होने जा रहा हूं. पांच ‘विवाह’ के और दो ‘निकाह’ के न्योते हैं. मेरा परिवार उन सबको बहुत अच्छी तरह से जानता है.’’ अपने पिता हाशिम अंसारी से विरासत में मिले इस मामले में मुकदमा लड़ने वाले 53 वर्षीय अंसारी ने कहा कि फैसले आने के बाद अयोध्या में सामाजिक एकता के ताने-बाने व इसकी समरसता पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. अंसारी के पिता का 2016 में निधन हो गया था. सभी कार्डों को दिखाते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक निमंत्रण कार्ड पर ‘इकबाल अंसारी और परिवार’ लिखा हुआ है. अंसारी ने कहा, ‘‘अधिकांश लोग यह मान रहे थे कि इस विवाद या इसके फैसले के बाद हिंदू और मुस्लिम आपस में बातचीत करना बंद कर देंगे. लेकिन यह अयोध्या है.

हमारे बीच कानूनी मुद्दे हो सकते हैं, लेकिन हमारा भाईचारा सदैव बरकरार रहता है. उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद अभी भी खड़ी होती अगर 1992 में ‘कारसेवकों’ की भीड़ अयोध्या नहीं आती. अंसारी ने कहा, ‘‘यहां हिंदू और मुस्लिम कुछ मुद्दों पर एक-दूसरे को अपशब्द कह सकते हैं, लेकिन फिर भी वे एक साथ भोजन करेंगे और जश्न मनाएंगे.’’ मुस्लिम बहुल कोटिया पंजीटोला में अपने घर से बाहर निकलकर वह अपने पसंदीदा चाय के स्टॉल पर जाते हैं, उनके साथ एक बंदूकधारी सुरक्षाकर्मी भी साथ होता है, जो जिला पुलिस द्वारा उन्हें प्रदान की गई सुरक्षा का हिस्सा है. रास्ते में, कई हिंदू लोग उन्हें सलाम करते हैं, जिनमें से कुछ लोग भगवा और ‘जय श्री राम’ लिखी हुई पगड़ी पहने हुये हैं. उनमें से एक हैं- 60 वर्षीय गोपाल पांडे, जो अंसारी से हाथ मिलाने के लिए रुकते हैं.

पांडे ने कहा, ‘‘हमारे (हिंदू और मुस्लिम) बीच राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर चाहे दशकों से बहस चलती रही हो, लेकिन यहां लोगों के बीच आपसी प्यार और सौहार्द पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.’’ उन्होंने कहा कि यह प्रेम कोई कल से नहीं है, बल्कि यह तो अनादि काल से है. यह अवध क्षेत्र की ‘गंगा-जमुनी तहज़ीब’ का प्रतीक है. चाय के स्टाल पर, अंसारी, बाबू राम से चाय का कप लेते हैं. वह खुद अब 60 वर्ष के हो चुके हैं, जिनके यहां अंसारी के पिता हाशिम अंसारी अक्सर चाय पिया करते हैं जो बाबरी मामले में मुख्य पक्षकार थे. लंबे समय से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का केंद्र रहे इस शहर में बंधुत्व की परंपरा बहुत पुरानी है.

कई स्थानीय लोग, हिंदू और मुसलमान दोनों, हाशिम अंसारी और रामजन्मभूमि न्यास के प्रमुख रहे महंत रामचंद्रदास परमहंस को याद करते हैं कि कैसे वे दोनों फैजाबाद अदालत में सुनवाई के लिए एक ही तांगे से जाया करते थे. परमहंस का भी कुछ साल पहले निधन हो गया. उन दोनों के बीच की अनूठी दोस्ती की लोग मिसाल देते हैं. अयोध्या के जिला मजिस्ट्रेट अनुज झा के अनुसार, अयोध्या और फैजाबाद दोनों शहरों के लोगों ने बहुत शांति से और परिपक्वता से उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है जिसकी हमें उम्मीद थी. उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अगर बाहर के लोग अयोध्या के इस संदेश को लें , तो फैसले को लेकर देश में कहीं भी कोई अप्रिय घटना नहीं होगी.