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अलीगढ़ में सड़कों पर नहीं पढ़ सकेंगे नमाज, जुमे के दिन ही लगी रोक

सड़कों पर नमाज पढ़ने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के विरोध में बजरंग दल जैसे कई दक्षिणपंथी संगठनों ने शहर में मंदिरों के बाहर हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान आरती का आयोजन करना शुरू कर दिया था

Updated on: 26 Jul 2019, 12:38 PM

नई दिल्ली:

मुसलमानों के सड़कों पर नमाज अदा करने वाले विरोध में कुछ संगठनों द्वारा सड़क पर ही प्रत्येक मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ और महाआरती शुरू करने के बाद अलीगढ़ प्रशासन ने सड़कों पर होने वाली धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. अलीगढ़ के जिलाधिकारी सी.बी. सिंह ने कहा कि यह प्रतिबंध सड़क पर नमाज पढ़ने वालों पर भी लगा है. हालांकि ईद जैसे मौकों पर यह प्रतिबंध नहीं रहेगा, क्योंकि तब बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं.

उन्होंने कहा कि बिना किसी पूर्व अनुमति के जुमे की नमाज सहित किसी भी धार्मिक गतिविधियों को सड़कों पर आयोजित नहीं करने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हर किसी को उनके धर्म का पालन करने की आजादी है, लेकिन ये आजादी उनके अपने घर पर हैं न कि सड़क पर. उन्होंने आगे कहा, 'मैंने हाल के दिनों में ऐसी गतिविधियों में शामिल संगठनों के प्रतिनिधियों से बात की है और उन्हें इस मुद्दे की संवेदनशीलता से अवगत कराया है. ऐसी गतिविधियों से कानून और व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. अलीगढ़ वैसे भी सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील जिला है.'

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सड़कों पर नमाज पढ़ने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के विरोध में बजरंग दल जैसे कई दक्षिणपंथी संगठनों ने शहर में मंदिरों के बाहर हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान आरती का आयोजन करना शुरू कर दिया था, जिससे सड़कों पर अव्यवस्था फैलने लगी थी. उत्तर प्रदेश के हापुड़ से शुरू हुआ विरोध का यह तरीका पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में लोग अपनाया जा चुका है. पिछले शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता व अलीगढ़ की पूर्व महापौर शकुंतला भारती ने भी ऐसे ही एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था.

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अलीगढ़ शहर इकाई के बीजेपी महासचिव मानव महाजन ने कहा, 'यदि एक समुदाय नमाज के लिए सड़क को अवरुद्ध कर सकता है, तो हिंदू सड़कों पर महाआरती क्यों नहीं कर सकते?' महाजन ने कहा कि वह उन लोगों के शुक्रगुजार हैं जिन्होंने सड़कों पर नमाज अदा करने से रोकने के लिए इस परंपरा की शुरुआत की.