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कर्नाटक का नाटकः बागी विधायकों को मनाने के लिए सीएम बदलने का प्रस्ताव, विश्वास मत आज

जेडीएस और कांग्रेस ने राज्य में अपनी गठबंधन सरकार बचाने के लिए सारी तिकड़म आजमाते हुए आखिरी दांव के रूप में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को बदलने का प्रस्ताव बागी विधायकों को दिया है.

Updated on: 22 Jul 2019, 08:36 AM

highlights

  • आखिरी दांव के रूप में कुमारस्वामी को बदलने का प्रस्ताव बागी विधायकों को दिया.
  • बागी विधायक सोमवार को विश्वास मत कराने के लिए फिर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट.
  • बहाना बनाकर शक्ति-परीक्षण टालने की कोशिश करेंगे कुमारस्वामी.

नई दिल्ली.:

कर्नाटक का नाटक संभवतः आज यानी सोमवार को खत्म हो जाए. जेडीएस और कांग्रेस ने राज्य में अपनी गठबंधन सरकार बचाने के लिए सारी तिकड़म आजमाते हुए आखिरी दांव के रूप में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को बदलने का प्रस्ताव बागी विधायकों को दिया है. यह अलग बात है कि बागी विधायकों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. इस बीच कर्नाटक का नाटक ऐतिहासिक रूप अख्तियार कर रहा है. खासकर यह देखते हुए कि संभवतः यह पहला मौका होगा जब किसी मुख्यमंत्री के विश्वास मत हासिल करने की प्रक्रिया इतनी लंबी खिंची हो.

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मुख्यमंत्री के भाई हैं इस्तीफे के जिम्मेदार
इस बीच सोमवार को विधानसभा में शक्ति परीक्षण से पहले बागी विधायकों को पाले में लाने में असफल कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने आखिरी दांव के तौर पर मुख्यमंत्री को ही बदलने का प्रस्ताव रखा. गौरतलब है कि इससे पहले कई बागियों ने अपने इस्तीफे के लिए कुमारस्वामी के नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया था. कई विधायकों ने कहा था कि पीडब्ल्यूडी मंत्री और कुमारस्वामी के भाई एचडी रेवन्ना के अवांछित हस्तक्षेप के चलते ही वे इस्तीफा देने को मजबूर हुए. ऐसे में गठबंधन सरकार को बचाने के लिए दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने यह रास्ता निकाला.

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संवैधानिक प्रावधानों की आड़ में खेल
इस नाटक के चलते कर्नाटक एक ऐसे राज्य के तौर पर उभरा है जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष संवैधानिक प्रावधानों का अपने-अपने पक्ष में बेहद चतुराई से इस्तेमाल कर रहे हैं. गौरतलब है कि अब बागी कह रहे हैं उनका इस्तीफा स्पीकर स्वीकार नहीं कर रहे हैं. इधर स्पीकर कह रहे हैं कि विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की शिकायत है उस पर पहले फैसला होगा. इस बीच राज्यपाल ने कुमारस्वामी को दो पत्र भेजे और बहुमत साबित करने के लिए समय तय किया. यहां भी स्पीकर ने राज्यपाल की पहल पर विश्वास मत पर कार्यवाही तो शुरू कर दी, लेकिन सदन सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया. संवैधानिक प्रावधानों के तहत राज्यपाल मुख्यमंत्री से बहुमत साबित करने को तो कह सकते हैं, लेकिन सदन आहुत होने के बाद वह सदन की कार्यवाही नियंत्रित नहीं कर सकते.

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सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों ने फिर दी दस्तक
स्पीकर की मंशा को भांप कर कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल-सेक्यूलर (जेडी-एस) के 15 बागी विधायकों और दो निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा में सोमवार को शक्ति परीक्षण करने का आदेश देने की मांग करते हुए रविवार को सर्वोच्च न्यायालय में एक संयुक्त याचिका दायर की. याचिकाकर्ता विधायकों ने अदालत से विधानसभाध्यक्ष केआर रमेश और मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को सोमवार को शाम पांच बजे तक विश्वास मत का आयोजन करने का निर्देश देने की मांग की.

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बहाना बना सकते हैं कुमारस्वामी
प्रदेश के 15 बागी और दो निर्दलीय विधायकों ने अपनी संयुक्त याचिका में कहा, 'हम मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी द्वारा 18 जुलाई को कर्नाटक विधानसभा में लाए गए विश्वास मत प्रस्ताव पर 22 जुलाई को शाम पांच बजे से पहले शक्ति परीक्षण करने का निर्देश देने की मांग करते हैं. सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता दिशा राय द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री या गठबंधन सरकार में सहयोगी कांग्रेस और जेडी-एस कुछ और बहाना बनाकर शक्ति-परीक्षण टालने की कोशिश करेंगे.

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बसपा ने और पेंच उलझाया
इस बीच बसपा ने कर्नाटक के नाटक को और रोचक बना दिया. रविवार को एक बयान सामने आया जिसमें बसपा प्रमुख मायावती ने अपने एकमात्र विधायक से विश्वास मत प्रक्रिया से अलग रहने को कहा था. बहुजन समाज पार्टी के कानूनविद् एन महेश ने कहा कि उनके आलाकमान ने उन्हें विश्वास प्रस्ताव के दौरान न रहने' के लिए कहा है, इसलिए, उन्होंने सोमवार और मंगलवार को सत्र में भाग नहीं लेने का फैसला किया था. हालांकि, इस बयान के कुछ घंटे बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया और कहा कि उन्होंने विधायक को कुमारस्वामी की सरकार के पक्ष में मतदान करने का निर्देश दिया है.

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गणित सीएम के खिलाफ
जाहिर है पल-पल बदल रहे घटनाक्रम से सियासी संकट और बढ़ गया है. फिलहाल गणित कुमारस्वामी सरकार के खिलाफ है. सत्तारूढ़ गठबंधन की ताकत 117 विधायकों की है जिसमें कांग्रेस 78, जद (एस) 37, बसपा 1, और अध्यक्ष के अलावा 1 नामित सदस्य है. दो निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन के साथ, विपक्षी भाजपा के पास 225 सदस्यीय सदन में 107 विधायक हैं. यदि 15 विधायकों के इस्तीफे (कांग्रेस से 12 और जेडीएस से 3) स्वीकार किए जाते हैं या यदि वे मतदान में भाग नहीं लेते हैं, तो सत्तारूढ़ गठबंधन की संख्या 101 हो जाएगी. इस तरह कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ जाएगी.