logo-image

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से राहत के बाद बीजेपी (BJP) में शामिल होंगे कर्नाटक (Karnataka) के अयोग्‍य विधायक

विधानसभा स्‍पीकर (Speaker) की ओर से पूरे सत्र के लिए अयोग्‍य करार दिए गए कर्नाटक (Karnataka) के 17 विधायक (MLAs) अब बीजेपी (BJP) में शामिल होंगे.

Updated on: 13 Nov 2019, 03:46 PM

नई दिल्‍ली:

विधानसभा स्‍पीकर की ओर से पूरे सत्र के लिए अयोग्‍य करार दिए गए कर्नाटक के 17 विधायक अब बीजेपी में शामिल होंगे. इन अयोग्‍य विधायकों में कांग्रेस के एसटी सोमशेखर, रमेश जार्किहोली, प्रताप गौड़ा पाटिल, आर रोशन बेग, बीसी पाटिल, शिवराम हैब्बर, ब्यराति बासवराज, आनंद सिंह, मुनिरत्ना, के सुधाकर, एमटीबी नागराज, श्रीमंत पाटिल, महेश कुमाताहल्ली और आर शंकर, जबकि, जेडीएस के एएच विश्वनाथ, गोपालैयाह और नारायण गौडा शामिल हैं. बताया जा रहा है कि ये नेता गुरुवार को सुबह 10.30 बजे बीजेपी में शामिल हो जाएंगे.

यह भी पढ़ें : बड़ी खबर : कुलभूषण जाधव को यह अधिकार देने को अपने कानून में बदलाव कर सकता है पाकिस्‍तान

सुप्रीम कोर्ट द्वारा कर्नाटक के 17 बागी विधायकों पर फैसला देने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्‍ली में बैठक की. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के बागी विधायकों की अयोग्यता को बरकरार रखी है, लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी है. शाह द्वारा आयोजित बैठक में कर्नाटक के भाजपा नेताओं ने भी भाग लिया. बैठक का एजेंडा यह तय करना था कि कितने बागियों को भाजपा का टिकट दिया जाए और कितने को न दिया जाए. अगर ऐसा है तो यह कैसे सुनिश्चित किया जाए कि छोड़े जाने वाले विधायकों की नाराजगी से भाजपा की अगुवाई वाली कर्नाटक सरकार को नुकसान नहीं पहुंचे.

भाजपा कर्नाटक में अजीबोगरीब स्थिति का सामना कर रही है, जहां इसके बहुत से कार्यकर्ताओं व टिकट चाहने वालों को आशंका है कि बागी विधायकों को 'पुरस्कार' दिए जाने के कदम की वजह से उन्हें नकारा जा सकता है. राज्य के कार्यकर्ताओं के बीच पहले ही असंतोष बढ़ रहा है, जिनका मानना है कि बाहरी बागियों के लिए भाजपा उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को कुर्बान कर सकती है.

यह भी पढ़ें : अयोध्‍या में राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर कानून बना सकती है मोदी सरकार, आगामी सत्र में पेश होगा विधेयक

प्रमुख भाजपा नेता पी.मुरलीधर राव ने एक बयान में कहा, "कर्नाटक के अयोग्य करार दिए गए विधायकों को उपचुनाव में लड़ने देने की अनुमति माननीय सुप्रीम कोर्ट का स्वागत योग्य कदम है. यह संवैधानिक अधिकार है, जिसका हम सभी को स्वागत करना चाहिए."