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कर्नाटक सियासी संघर्षः कांग्रेस फिर पहुंची सुप्रीम कोर्ट, SC के इस आदेश के खिलाफ दायर की याचिका

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव ने सुप्रीम कोर्ट के 17 जुलाई के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

Updated on: 19 Jul 2019, 03:59 PM

नई दिल्ली:

कर्नाटक का सियासी ड्रामा थमने का नाम नहीं ले रहा है. कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव ने सुप्रीम कोर्ट के 17 जुलाई के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. उन्होंने SC में दायर याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश 15 बागी विधायकों को विधानसभा में मौजूद रहने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश पार्टी को मिले व्हीप जारी करने के संवैधानिक अधिकार के खिलाफ है. कोर्ट के इस आदेश से संविधान की 10वीं अनुसूची में दिए गए दल-बदल कानून का उल्लंघन होता है.

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बता दें कि कर्नाटक में संवैधानिक संकट गहराता जा रहा है. एक दिन पहले राज्‍यपाल वजूभाई वाला ने मुख्‍यमंत्री को पत्र लिखकर शुक्रवार दोपहर बाद डेढ़ बजे तक बहुमत साबित करने को कहा था पर अब तक ऐसा नहीं हो सका है. विधानसभा अध्‍यक्ष ने सदन को 3 बजे तक के लिए स्‍थगित भी कर दिया है. विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने इस बारे में कहा है कि जब तक चर्चा पूरी नहीं हो जाती, विभाजन के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता है.

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इससे पहले सीएम एचडी कुमारस्‍वामी ने विधानसभा अध्‍यक्ष से पूछा था कि क्‍या राज्यपाल फ्लोर टेस्‍ट के लिए मुख्‍यमंत्री को कोई निर्देश दे सकते हैं?. राज्‍यपाल ने मुझे 1.30 बजे तक बहुमत साबित करने के लिए कहा है, जबकि हमने पहले ही विश्वास प्रस्ताव को पेश कर दिया है. यह तय करना चाहिए कि क्या राज्यपाल के पास ऐसी शक्तियां हैं, जो पहले से ही इस सदन को प्राप्‍त है. कुमारस्‍वामी ने यह भी कहा, अरुणाचल प्रदेश मामले में एक संविधान पीठ ने ऐसे ही मामलों की सुनवाई की थी. तब न्यायमूर्ति खेहर ने कहा था कि राज्यपाल को भारत सरकार अधिनियम, 1935 द्वारा विवेकाधिकार दिया गया था, लेकिन संविधान संशोधन करते वक्‍त इसे बदल दिया गया था.