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रूपकंवर सती केस में आज नहीं आएगा फैसला, सुनवाई टली, जानें पूरा मामला

मंगलवार को महानगर की सती निवारण केसों की विशेष कोर्ट फैसला सुनाने वाली थी लेकिन ये सुनवाई टल गई है

Updated on: 03 Sep 2019, 01:38 PM

नई दिल्ली:

सीकर जिले के दिवराला गांव में 32 साल पहले 4 सितंबर 1987 को रूपकंवर सती केस में सती का महिमामंडन करने के मामले में मंगलवार को महानगर की सती निवारण केसों की विशेष कोर्ट फैसला सुनाने वाली थी लेकिन ये सुनवाई टल गई है. कोर्ट इस मामले में 8 आरोपियों पर फैसला सुनाने वाली थी.
आरोपियों के अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह नरूका ने बताया कि मामले में आठ आरोपी श्रवण सिंह, महेंद्र सिंह, निहाल सिंह, जितेंद्र सिंह, उदय सिंह, नारायण सिंह, भंवर सिंह व दशरथ सिंह हैं. इन सभी पर सती निवारण अधिनियम के तहत दिवराला सती की घटना के दौरान उसका महिमामंडन करने का आरोप है. कुल 39 लोगों पर केस दर्ज किया था, 11 पहले ही बरी किए जा चुके हैं.

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क्या है पूरा मामला?

जयपुर की रहने वाली 18 साल की रूपकंवर की शादी दिवराला के मालसिंह शेखावत(24) से हुई थी. शादी के सात महीने बाद ही मालसिंह गंभीर रूप से बीमार हुए और उनकी मौत हो गई. पति के निधन के बाद रूपकंवर ने सती होने की इच्छा जताई, हालांकि पुलिस जांच में यह बात सही नहीं निकली. 4 सितंबर 1987 को रूपकंवर सती हो गई. इसके बाद स्थानीय लोगों ने उसे सती मां का रूप दिया और उसकी याद में मंदिर का निर्माण करवाया. वहां पर चुनरी महोत्सव का आयोजन भी किया गया. तब घटना का महिमामंडन करने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी सरकार ने 39 लोगों के खिलाफ हाईकोर्ट में केस दर्ज करवाया था. आजादी के बाद राजस्थान में सती के 29 केस हुए, रूपकंवर आखिरी थीं.

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रूपकंवर के सती होने की घटना विश्व में चर्चित घटना थी. प्रदेश व देश की बदनामी हुई. इस घटना ने काफी तूल पकड़ा था. सती निवारण कानून बना. सती मामले की जल्द सुनवाई के लिए जयपुर में सती निवारण केसों की विशेष कोर्ट बनी. जिस कोर्ट को आज फैसला देना है, वह भी इसी केस की देन है.