कांग्रेस ही नहीं, BJP सरकार में भी कोटा के अस्पताल में बच्चों पर आती रही है शामत
विपक्षी पार्टियां राज्य की कांग्रेस सरकार को घेरती हुई नजर आ रही है. इतना ही नहीं जेके लोन अस्पताल पर सुविधाएं ठीक से न उपलब्ध न करा पाने के आरोप लग चुके हैं
नई दिल्ली:
राजस्थान के कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौतों का सिलसिला जारी है. पिछले 2 दिनों में 9 और बच्चों की मौत के बाद अब ये आंकड़ा 100 के पार पहुंच गया है. कोटा में जारी मौत के इस खेल को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है. विपक्षी पार्टियां राज्य की कांग्रेस सरकार को घेरती हुई नजर आ रही है. इतना ही नहीं जेके लोन अस्पताल पर सुविधाएं ठीक से न उपलब्ध न करा पाने के आरोप लग चुके हैं. दरअसल इस मामले की जांच के लिए बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को चार सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल नियुक्त किया था. इसी क्रम में कोटा के सांसद और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला (Lok Sabha Speaker Om Birla) ने रविवार को अस्पताल का निरीक्षण किया और वहां के उपकरणों को चेक किया था.
जेके लॉन अस्पताल का दौरा करने के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा था कि हमने आज कोटा के उस अस्पताल का दौरा किया, जहां नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं और चिकित्सा उपकरणों की कमी है. हॉस्पिटल में कई उपकरण खराब हैं. मैंने लिखित में उपकरण की जरूरतों को पूरा करने के लिए कहा है. इसे 15 दिनों में उपलब्ध कराया जाएगा.
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इससे पहले कोटा के एमपी ओम बिड़ला (kota MP Om Birla) ने कहा था कि कोटा के एक मातृ एवं शिशु अस्पताल में पिछले 48 घंटे में 10 नवजात शिशुओं की असामयिक मौत का मामला चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत के मामले में राजस्थान सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. अस्पताल के अफसरों के अनुसार, 23 दिसंबर को छह बच्चों की मौत हुई, जबकि 24 दिसंबर को चार बच्चों ने दम तोड़ा था.
क्या कहती है रिपोर्ट?
वहीं इस मामले में तैयार की गई रिपोर्ट में पता चला कि जिन बच्चों की मौत हुई थी, उनमें 10 में से 5 बच्चे 1 माह से छोटे थे. इसी के साथ ये भी पता चला कि सर्दी में परिजन जीप में बच्चों को अस्पताल लाए. उन बच्चों का इन्फेक्शन से गला जाम हो गया था. सांस थमने जैसे हालात में इलाज के लिए लाए गए थे. इसी के साथ रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि इन्फेक्शन का सही इलाज किया गया. इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई.
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इसके अलावा जांच टीम ने अस्पताल को सलाह दी कि अस्पताल के उपकरणों की मरम्मत करवाई जाए.
NICU में ऑक्सीजन की पाइपलाइन डाली जाए और पीडियेट्रिक वार्ड के HOD नियमित तौर पर अस्पताल में बैठें.
इस अस्पताल में हर साल होती हैं इतनी मौतें
हर साल इस अस्पताल में क्या स्थिति रहती है यहां देखिए
साल भर्ती बच्चे मौत
2014 15,719 1,198
2015 17,569 1,260
2016 17,892 1,193
2017 17,216 1,027
2018 16,436 1,005
इस मामले पर किस नेता ने क्या कहा?
इस मामले के सुर्खियों में आते ही इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है. जब इस मामले को लेकर सीएम अशोक गहलोत से सवाल किए गए तो उन्होंने शर्मिंदा करने वाला बयान दे दिया. उन्होंने कहा था, हर अस्पताल के अंदर 3,5,7 मौतें होती हैं, प्रतिदिन होती हैं, ये कोई नई बात नहीं है. उनके इस बयान के बाद मामला और भी सुर्खियों में आ गया. वहीं बीजेपी ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मामले पर सीएम गहलो से कोई सवाल क्यों नहीं पूछे जाते. बीजेपी IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने पूछा है कि 'सीएम गहलोत से कोई सवाल क्यों नहीं पूछे जाते'. अमित मालवीय ने एक ट्वीट में कहा कि 'कोटा इतना दूर भी नहीं कि राहुल, सोनिया वहां न जा सकें और ये घटना इतनी मामूली भी नहीं कि मीडिया कांग्रेस सरकार की इस लापरवाही पर आंख मूंद ले.'
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