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मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त हुई राजस्थान सरकार, दोषियों को मिलेगी कड़ी सजा

राजस्थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक मंगलवार को विधानसभा में पेश कर दिया गया है. 5 अगस्त को बहस के बाद यह विधेयक पारित होगा.

Updated on: 01 Aug 2019, 10:37 AM

नई दिल्ली:

भीड़ की हिंसा और भीड़ द्वारा लोगों को पीट पीटकर मारने की घटनाओं के खिलाफ राजस्थान सरकार ने कड़ा कानून बनाया है. मॉब लिंचिग करने वालों और भीड़ में शामिल होकर मॉब लिंचिंग का सहयोग करने वालों को अब कड़ी सजा मिलेगी. राजस्थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक मंगलवार को विधानसभा में पेश कर दिया गया है. 5 अगस्त को बहस के बाद यह विधेयक पारित होगा.

इस विधेयक के मुताबिक मॉब लिंचिंग में पीड़ित की मौत होने पर अब दोषियों को आजीवन कठोर कारावास और एक से पांच लाख तक का जुर्माने का देना होगा. लिचिंग में पीड़ित को घायल करने वालों को सात साल तक की सजा, एक लाख रुपए तक का जुर्माने का प्रावधान विधेयक में किया है. लिचिंग में पीड़ित के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की कैद और 50 हजार से 3 लाख तक का जुर्माना होगा.

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मॉब लिंचिंग में सहयोग करने वालों को भी मिलेगी सजा

लिचिंग में किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वही सजा मिलेगी जो खुद लिचिंग करने पर है. मॉब लिंचिंग के मामलों की जांच इंस्पेक्टर स्तर या उससे उपर का पुलिस अफसर ही करेगा, इससे नीचे के स्तर का अफसर जांच नहीं कर सकेगा. लिंचिंग रोकने के लिए आईजी रैंक के अफसर को राज्य समन्वयक बनाया जाएगा, हर एसपी लिचिंग रोकने के लिए जिला समन्वयक होगा.

विधेयक में प्रावधान है कि लिंचिंग में किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वहीं सजा मिलेगी जो खुद लिचिंग करने पर है. लिंचिंग के दोषियों की गिरफ्तारी से बचाने या अन्य सहायता करने पर भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. लिचिंग के मामलों में गवाहों को धमकाने वालों को 5 साल तक जेल और एक लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया है.

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फोटोज-वीडियोज शेयर करने पर भी होगी सजा

मॉब लिंचिंग की घटना के वीडियो, फोटो किसी भी रूप से प्रकाशित प्रसारित करने पर भी एक से तीन साल की सजा और
50 हजार का जुर्माने का प्रावधान किया है. इस प्रावधान की वजह से लिंचिंग की घटनाओं की रिपोर्टिंग में भी बाधाएं आएंगी. हालांकि विधेयक के नियम बनने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि इस प्रावधान के दायरे में घटना की रिपोर्टिंग
करने वालों को लिया जाता है या नहीं.

मॉब लिंचिंग के गवाहों को दो से ज्यादा तारीखों पर अदालत जाने की बाध्यता से छूट मिलेगी. गवाहों की पहचान गुप्त रखी जाएगी. मॉब लिंचिंग से पीड़ित व्यक्ति का विस्थापन होने पर सरकार उसका पुनर्वास करेगी. 50 से ज्यादा व्यक्तियों के विस्थापित होने पर राहत शिविर लगाने का प्रावधान भी होगा. मॉब लिंचिंग पर कानून बनने के बाद सरकार इसके नियम बनाएगी. दावा किया जा रहा है कि इस कानून के लागू होने के बाद भीड़ की हिंसा पर जरूर नियंत्रण होगा.