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राजस्थान में निकाय चुनाव से पहले सीएम अशोक गहलोत, सचिन पायलट आमने सामने

राजस्थान मे नगरीय निकायों में बिना पार्षद का चुनाव लड़े किसी भी शख्स के निगम का मेयर, नगर परिषद का सभापति और पालिकाओं के अध्यक्ष बनने के फैसले को लेकर गहलोत सरकार में दरार पड़ गई.

Updated on: 19 Oct 2019, 09:32 AM

highlights

  • राजस्थान में एक बार फिर सचिन पायलट और अशोक गहलोत आमने-सामने है.
  • गैर पार्षद को भी मेयर बनाने के हाईब्रिड चुनाव के फैसले की पायलट समेत चार मंत्रियों ने खुलकर मुखालफत की. 
  • पायलट ने कहा इससे बैकडोर एंट्री का रास्ता खुलेगा. पायलट ने कहा कि ये फैसला बदला जाना चाहिए.

जयपुर:

राजस्थान (Rajasthan) में एक बार फिर सचिन पायलट (Sachin Pilot) और अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) आमने सामने है. नगर निकायों के चुनाव (Local Body Election) में में गैर पार्षद को भी मेयर बनाने के हाईब्रिड चुनाव के फैसले की पायलट समेत चार मंत्रियों ने खुलकर मुखालफत की. सचिन पायलट ने कहा है कि न तो इस फैसले पर मंत्रीमंडल में चर्चा हुई, न ही विधायक दल की बैठक में.
पायलट ने कहा इससे बैकडोर एंट्री का रास्ता खुलेगा. पायलट ने कहा कि ये फैसला बदला जाना चाहिए. पायलट समर्थक तीन मंत्री भी फैसले के विरोध में उतर गए. बचाव मे खुद गहलोत और उनके समर्थक मंत्री उतरे. गहलोत ने कहा गुड गर्वनेंस के लिए फैसला किया.

दरअसल, राजस्थान मे नगरीय निकायों में बिना पार्षद का चुनाव लड़े किसी भी शख्स के निगम का मेयर, नगर परिषद का सभापति और पालिकाओं के अध्यक्ष बनने के फैसले को लेकर गहलोत सरकार में दरार पड़ गई. उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट समेत चार मंत्रियों ने गहलोत सरकार के फैसले की मुखालफत की. सचिन पायलट ने तो आरोप लगाया कि इससे बैकडोर एंट्री बढ़ेगी. पायलट ने सवाल उठाया कि जो लोग पार्षद का चुनाव नहीं लड़ सकते उन्हें मेयर बनाया जाए ये ठीक नहीं.

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उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि चुनाव हो यहां तक ठीक है. ये नया निर्णय लिया ये शहरी विकास मंत्रालय ने लिया. इसकी कैबिनेट में चर्चा नहीं हुआ. मैं मानता हूं चुनाव सीधे होने चाहिए. इसे हाईब्रिड नाम दिया. इससे बैकडोर एंट्री होगी.जो पार्षद का चुनाव जीतेगा वही मेयर बनेगा. इस निर्णय से मैं सहमत नहीं हूं.

गहलोत सरकार की मुश्किल ये कि इस फैसले का विरोध अकेले सचिन पायलट नहीं कर रहे हैं बल्कि तीन कैबिनेट मंत्री भी पायलट के समर्थन में मैदान में उतर चुके हैं. इनमें परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, खाद्य एंव नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा और सामाजिक न्याय एंव अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल शामिल है. विरोध में शामिल होने वाले मंत्रियों की तादाद और बढ़ सकती है. खतरे को भांप कर सफाई देने खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सामने आए. दावा किया मंत्रीमंडल इस फैसले के साथ है. ये भी सफाई दी कि गुड गर्वनेंस के लिए ये फैसला किया गया.

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अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हम तो कोई बात करते हैं तो अच्छे के लिए करते हैं. सबकी भावना एक है. गुड गर्वनेंस हो. संवेदनशील, जबादेह और पारदर्शी प्रशासन में .इसमें पूरा मंत्रीमंडल और सरकार लगी है.

राजस्थान की गहलोत सरकार ने दो दिन पहले ही फैसला किया था. राजस्थान में निकाय प्रमुखों के चुनाव सीधे नहीं नहीं होगे पार्षद चुनेगें. लेकिन अब फैसला किया कि निकायों के प्रमुख जरुरी नहीं कि पार्षद हो, पार्षद दल किसी भी बाहर से भी शख्स को मेयर,सभापति या अध्यक्ष चुन सकते हैं. गहलोत सरकार ने छह महीने में चौथी बार मेयर चुनाव की प्रकिया पलटी. मार्च में पिछली बीजेपी सरकार का फैसला पलटते हुए सीधे चुनाव का फैसला किया था. फिर इसे वापस पलट दिया. लेकिन अब पायलट और उनकी टीम के विरोध में खड़े हो जाने से गहलोत मुश्किल में फंस गए.

सचिन पायलट और पायलट के समर्थक मंत्री लंबे समय से मुख्यमंत्री से नाराज हैं. फैसलों में भागीदार न बनाने से. इस फैसले ने गहलोत के खिलाफ हमला बोलना मौका दे दिया. गहलोत की मुश्किल ये कि कांग्रेस पार्टी के कई और नेता भी नाराज है.