पोषण योजना के तहत लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की मुहिम तेज
नारायण सेवा संस्थान ने राजस्थान में बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की स्थिति को दूर करने के लिए एक व्यापक अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान के एक हिस्से के रूप में संस्थान ने 25 नए पोषण प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित करते हुए इन क्षेत्रों में लोगों को प
नई दिल्ली:
नारायण सेवा संस्थान ने राजस्थान में बच्चों और महिलाओं में कुपोषण (Malnutrition) की स्थिति को दूर करने के लिए एक व्यापक अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान के एक हिस्से के रूप में संस्थान ने 25 नए पोषण प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित करते हुए इन क्षेत्रों में लोगों को पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराने की मुहिम तेज कर दी है. नारायण सेवा संस्थान का यह अभियान मुख्य तौर पर उदयपुर जिले में केंद्रित है.
इसके अंतर्गत पोषण (Prime Minister’s Overarching Scheme for Holistic Nutrition ) योजना के तहत कुपोषण से बचाव अभियान के सिलसिले में लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. राजस्थान सरकार भी कुपोषण के खिलाफ लड़ाई के लिए राजस्थान में तेजी से पोषण योजना लागू कर रही है.
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पोषण अभियान दरअसल एक मिशन है जिसे 2022 तक कुपोषण मुक्त भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कई मंत्रालयों द्वारा परिवर्तित किया गया है. यह बच्चों, गर्भवती महिलाओं और माताओं को पर्याप्त पोषण उपलब्ध कराने के लिए बनाई गई एक समग्र योजना है, जिसे देश के विभिन्न जिलों में लागू किया गया है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2019 के अनुसार 117 देशों की सूची में भारत की रैंकिंग 102 है. सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) के जीरो हंगर सैक्शन के अनुसार देश में सबसे खराब प्रदर्शन वाले 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में राजस्थान ने 35 अंक हासिल किए थे.
खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने अनुमान लगाया कि देश की 14.5 प्रतिशत आबादी ऐसी है, जो कुपोषण की शिकार है, जबकि देश में भुखमरी के संकट से निपटने के लिए व्यापक रणनीति को अपनाने की जरूरत है और इस दिशा में बड़े काॅर्पोरेट घरानों से अधिक मदद हासिल की जा सकती है, ताकि 2030 से पहले भुखमरी के संकट को समाप्त किया जा सके. ऐसी भी रिपोर्टें हैं, जिनमें लोगों की खान-पान संबंधी आदतों में परिवर्तन का सुझाव दिया गया है, क्योंकि लोग शर्करा संबंधी उत्पादों और जंक फूड का अधिक सेवन करते हैं और पोषणयुक्त भोजन नहीं कर पाते.
हाल ही सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित 9 वर्षीय मुसमी डाली को इलाज के लिए अपने परिवार के साथ उदयपुर के नारायण सेवा संस्थान में लाया गया. संस्थान के चिकित्सकों ने जांच के बाद पाया कि उसके पूरे परिवार में ही अल्पपोषण एक बड़ी समस्या की तरह मौजूद है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम गर्भवती माताओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को 6 महीने से 14 साल तक पौष्टिक भोजन प्राप्त करने के लिए अनेक महत्वपूर्ण विकल्प प्रदान करता है.
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नारायण सेवा संस्थान की निदेशक श्रीमती वंदना अग्रवाल ने कहा, 'सेरेब्रल पाल्सी जन्म से पूर्व और जन्म के बाद की देखभाल और प्रसवोत्तर देखभाल से संबंधित है, यह पहली बार मां बनने वाली महिलाओं और माताओं की और अधिक देखभाल की जरूरत को इंगित करता है, ताकि वे एक सामान्य बच्चे को जन्म दे सकें.'
पोषण अभियान का लक्ष्य बच्चों में विकास का अवरुद्ध होना, अल्प पोषण, एनीमिया (कम उम्र के बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों के बीच) और जन्म के समय कम वजन की स्थिति में कमी लाना है. यह 2022 तक 0-6 साल के बच्चों में बच्चों में विकास के अवरुद्ध होने की स्थिति को 38.4 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखता है.
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