राजस्थान में बाढ़ ने मचाई तबाही, 11 जिलों में फसल हुई बर्बाद, राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से मांगी मदद
राजस्थान में इन दिनों बाढ़ ने तबाही मचा रखी है, आमजन लोगों का जन-जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है. बाढ़ के पानी की वजह से राज्य के 11 जिलों में फसल खराब हो चुके है. वहीं 4 जिलों के 40 गांवों में फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. जिसके बाद राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से किसानों को राहत देने के लिए मदद मांगी है.
नई दिल्ली:
राजस्थान में इन दिनों बाढ़ ने तबाही मचा रखी है, आमजन लोगों का जन-जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है. बाढ़ के पानी की वजह से राज्य के 11 जिलों में फसल खराब हो चुके है. वहीं 4 जिलों के 40 गांवों में फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. जिसके बाद राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से किसानों को राहत देने के लिए मदद मांगी है. राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर राज्य के चार जिलों के 40 गांवों को अभावग्रस्त घोषित किया है गया है. अभावग्रस्त घोषित किए गए गांवों में बूंदी जिले के 18, चूरू के 3, नागौर के एक और सवाईमाधोपुर जिले के 18 लोग शामिल हैं.
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अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रदेश के कम से कम 11 जिलों में फसल, पशुधन व घरों को भारी नुकसान हुआ है. खास तौर से कोटा संभाग में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. फसलों के नुकसान का आकलन करवाने के लिए गिरदावरी के निर्देश दे दिए गए हैं.
आपदा प्रबंधन विभाग 15 अक्टूबर तक गिरदावरी की रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा. जिन जिलों में भारी नुकसान हुआ है वहां मुआवजे के लिए केंद्र सरकार को मैमोरेंडम भेजा जाएगा. इसके अलावा सरकार ने यह भी निर्देश जारी किए हैं कि कलेक्टर 24 घंटे में ही पीड़ित को मुआवजा राशि जारी करेंगे.
बता दें कि बुधवार को आपदा राहत के लिए सरकार ने पीड़ितों को 18 करोड़ रुपए बांटे है. बारिश की वजह से किसानों को दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है. एक तरफ तो उनकी फसल चौपट हो गई है.
वहीं समय पर कृषि लोन नहीं मिलने की वजह से उनका फसल बीमा भी नहीं हुआ. ऐसे में अब किसानों को फसल बीमा की राहत भी नहीं मिलेगी. कोटा में सकतपुरा, बालापुरा, खंड गावड़ी, हनुमानगढ़ी सहित अन्य क्षेत्रों में मकान पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो गए. लोगों को आश्रय स्थलों का सहारा लेना पड़ रहा है, दो मंजिला मकान तक ढह गए.
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हनुमानगढ़: बुधवार को बारिश व ओलावृष्टि की वजह से खरीफ की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई. करीब एक घंटे तक हुई तेज बारिश से खेतों में चारों तरफ पानी जमा हो गया औरफसलें तेज बूंदों व ओलों की मार से जमीन पर लेट गई.
धौलपुर: चंबल नदी का जलस्तर एक घंटे में करीब 10 सेमी कम होने लगा है. बुधवार को शाम करीब 6 बजे नदी का गेज 142.20 मीटर पहुंच गया, फिर भी चंबल अभी खतरे के
निशान 129 मी. से करीब 13 मीटर ऊपर बह रही है.
चंबल- चंबल नदी का जलस्तर कम होने से आसपास के बाढ़ प्रभावित गांवों से पानी कम होने लगा, जिससे ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली. हालांकि दर्जनों गांवों व खेत अभी भी जलमग्न हैं. बाढ़ प्रभावित गांवों में सेना के जवान लगातार नजर बनाए हुए हैं, इन हालातों में किसानों ने कोटा में तो आंदोलन भी किया.
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वहीं विपक्ष ने भी राज्य की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है, किसानों को मुआवजे देने की मांग की है. सीएम अशोक गहलोत का कहना है गिरदावरी का काम जारी है. किसानों को नुकसान की भरपाई सरकार करेगी.
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