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भीलवाड़ा 10 दिन तक होगा पूरी तरह सील, मीडिया के पास भी किए निरस्त

भीलवाड़ा में 10 दिन के बंद को पूरी सख्ती से लागू करने की तैयारी में है. इसके लिए एनजीओ व मीडिया को जारी पास भी निरस्त कर दिए गए हैं. यह सख्ती तीन अप्रैल से दस दिन के लिए होगी.

Updated on: 31 Mar 2020, 01:16 PM

जयपुर:

जिला प्रशासन भीलवाड़ा में 10 दिन के बंद को पूरी सख्ती से लागू करने की तैयारी में है. इसके लिए एनजीओ व मीडिया को जारी पास भी निरस्त कर दिए गए हैं. यह सख्ती तीन अप्रैल से दस दिन के लिए होगी. उल्लेखनीय है कि भीलवाड़ा राजस्थान में कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों के कारण चर्चा में आया है. राज्य के 30 प्रतिशत से अधिक मामले इसी शहर में आए हैं. शहर के लोगों से इस दौरान पूरी तरह से घरों में रहने को कहा जा रहा है और जिला प्रशासन ने सभी जरूरी सेवाएं घरों पर ही देने की समय सारिणी बनाई है.

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भीलवाड़ा के जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने कहा कि तीन अप्रैल से 10 दिन के लिए लोगों को घरों में ही रहना होगा. हम मीडिया व गैर सरकारी संगठनों एनजीओ व अन्य लोगों को जारी सभी पास रद्द करने जा रहे हैं. इस सख्ती के दौरान लोगों को जरूरी सेवाओं की आपूर्ति एक तय समय सारिणी के अनुसार ही होगी. उन्होंने कहा कि आवश्यक सामान खरीदते समय भी लोगों को 'सामाजिक दूरी' का कड़ाई से पालन करना होगा अन्यथा सामान आपूर्ति करने वाली वैन को वहां से हटा लिया जाएगा और फिर यह वैन या वाहन पांच दिन बाद ही आएगा.

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भट्ट ने कहा कि शहर सर्वेक्षण-स्क्रीनिंग का पहला चरण सफल रहा क्योंकि सकारात्मक मामलों की संख्या में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई. उल्लेखनीय है कि मंगलवार सुबह तक राज्य में कोरोना वायरस के कुल 83 पाजिटिव मामले आए हैं जिनमें से 26 भीलवाड़ा से हैं. कलेक्टर ने कहा,' कुल 26 पाजिटिव मामलों में से आठ उपचार के बाद ठीक हो गए हैं. जो अच्छी खबर है. अगर लोग आने वाले दिनों में अनुशासन में रहेंगे और प्रशासन का सहयोग करेंगे तो हम कोरोना वायरस संकट पर जीत हासिल करेंगे.’’ राज्य में अब तक लिए गए कुल 3447 नमूनों में से 1194 नमूने अकेले भीलवाड़ा से हैं.

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स्वास्थ्य टीमों ने जिले की 26 लाख से अधिक आबादी की जांच की है. अधिकारियों ने कहा कि भीलवाड़ा में दो सर्वेक्षणों में 3.74 लाख लोगों की जांच की गई है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 22.22 लाख लोग हैं. भीलवाड़ा राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के कारण राज्य सरकार के लिए चिंता का कारण बना हुआ है. यहां एक निजी अस्पताल के तीन डॉक्टरों और नौ नर्सिंगकर्मी शुरू में पाजिटिव पाये गए. इसके बाद जो भी मामले सामने आये हैं उनमें से ज्यादातर या तो इस अस्पताल के कर्मचारी हैं या यहां इलाज के लिए आए लोग हैं.' मामले सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने जिले में कर्फ्यू लगा दिया और जिले की सीमाओं को सील करते हुए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण और स्क्रीनिंग की थी.