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नशे की आग में धधक रहा पंजाब, हर महीने 112 युवा हार रहे जिंदगी, 9 लाख लोग चपेट में

भारतीय सेना को सबसे ज्यादा जवान देने वाला पंजाब छठे स्थान पर खिसक गया है, युवाओं में धड़ल्ले से फैल रही एड्स और हेपेटाइटिस की बीमारी

Updated on: 11 Jun 2019, 06:56 PM

नई दिल्ली:

पंजाब नशे की आग में झुलस रहा है. यहां के युवाओं में नशे की लत कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इसकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. कृषि प्रधान पंजाब में जहां बड़े पैमाने पर खेती होती है और पशु पालन का काम किया जाता है. उस राज्य में युवा नशे की चपेट में आ गए हैं. जहां पहले युवा दूध-लस्सी पिया करता था, वो अब नशा करने लगा है. भारतीय सेना को सबसे ज्यादा जवान देने वाला पंजाब आज छठे स्थान पर खिसक गया है. प्रदेश में ड्रग्स लेने की वजह से युवाओं में धड़ल्ले से एड्स और हेपेटाइटिस की बीमारी फैल रही है.

9 लाख लोग लेते हैं ड्रग्स

आंकड़ों के अनुसार पंजाब में 9 लाख लोग ड्रग्स लेते हैं. इसमें 3.5 लाख लोग एडिक्ट हैं. प्रदेश में नशे से या इससे होनेवाली बीमारी से हर महीने 112 लोगों की मौत हो रही है.

एड्स और हेपेटाइटिस की चपेट में युवा

एक ही सीरिंज से ड्रग्स लेने की वजह से युवाओं में एचआईवी (एड्स), हेपेटाइटिस-सी और हेपेटाइटिस-बी जैसी बीमारियां फैल रही हैं. प्रदेश में इस समय 50 हजार हेपेटाइटिस-सी के मरीज हैं. पंजाब में एचआईवी के मरीजों की संख्या में 5 साल में 30% तक बढ़ गई है.

हर महीने 112 युवाओं की मौत

सूबे में हर महीने नशे अथवा इससे जनित बीमारी से मरने वालों की संख्या 112 दर्ज की गई है. वहीं प्रतिवर्ष 1344 युवा दम तोड़ देते हैं. एनसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक ( 2007-17) भारत में 25 हजार लोगों ने नशे की पूर्ति न होने के कारण आत्महत्या कर ली है. इसमें 74% मामले पंजाब के हैं. कभी भारतीय सेना को सबसे ज्यादा जवान देने वाला पंजाब आज छठे स्थान पर खिसक गया है. यहां के युवा शारीरिक योग्यता में फेल हो रहे हैं.

नशे की वजह से 2.6 लाख लोगों की मौत

2012 में मौत के 4000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. 2013 में इनकी संख्या बढ़कर 4500 हो गई थी. संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन के मुताबिक 2017 के दौरान पूरे विश्व में नशे की वजह से 2.6 लाख लोगों की मौत हुई थी. ड्रग्स की लत या शराब की वजह से होने वाली आत्महत्याएं जो थानों में दर्ज होती हैं. एनसीबी उन्हीं के आधार पर आंकड़े तैयार करता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कई मामले दर्ज ही नहीं पाते. ऐसे भी कई मामले पाए गए हैं, जो बदनामी के कारण आत्महत्याओं की वजह मानसिक परेशानी बता देते हैं. नशे से होने वाली मौत के 70 प्रतिशत से अधिक मामले पुलिस के पास नहीं पहुंचते हैं.

कॉलेजों के स्टूडेंट्स हैं शिकार

कॉलेज के स्टूडेंट्स इन मादक पदार्थों के नशे की गिरफ्त में हैं. वो इतने आदी हो जाते हैं कि जब इनके पास खरीदने के लिए पैसा नहीं होता है तो वे अपराध की तरफ मुड़ जाते हैं. एक साधारण स्टूडेंट्स से गैंगस्टर बनने का पंजाब का लंबा चौड़ा इतिहास रहा है. विक्की गौंडर इसका प्रमाण था.

पलायन तेजी से बढ़ रहा है

पंजाब से हर साल 45 हजार स्टूडेंट्स शिक्षा के लिए विदेश जा रहे हैं. इसकी मुख्य वजह यह है कि अधिकांशत: अभिभावकों को लगता है कि उनके बच्चे यहां रहे तो ड्रग का शिकार हो सकते हैं.

10 में से एक छात्रा लेती है ड्रग्स

रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में हर तीसरा मेल और हर 10वीं फिमेल स्टूडेंट्स ड्रग लेते हैं. इसमें 15% अफीम और 20% भुक्की के आदी हैं.

स्कूल ड्रॉपआउट की समस्या गंभीर

स्कूल ड्रॉपआउट एक गंभीर समस्या है. एनुअल ड्रॉप आउट रेट 2014-15 में 1.3 प्रतिशत से 2016-17 में 3.3 प्रतिशत हो गई है.

विधानसभा चुनाव- 2016 में रहा था मुख्य मुद्दा

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता हर मंच से ड्रग्स का मुद्दा उठा रहे थे. अकाली दल-भाजपा गठबंधन के लिए अपना बचाव करना मुश्किल हो गया था.
गुटखा साहिब हाथ में लेकर 2016 में चार हफ्ते में ड्रग्स की कमरतोड़ देने का वादा करने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री बनने के बाद ड्रग्स को रोकने के लिए एसआइटी का गठन किया. सरकार ने ड्रग्स के कारोबार को खत्म करने के लिए एक से एक बड़े कदम उठाए. अपनी दो साल की उपलब्धि बताते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कुछ दिन पहले दावा किया कि ड्रग्स की कमर तोड़ दी गई है. दो वर्षों में पुलिस ने 562 किलो से ज्यादा हेरोइन पकड़ी. पंजाब पुलिस ने पंजाब से पिछले एक साल में 19 लाख 64 हजार 250 नशीली गोलियां बरामद की हैं. नशे की कैप्सूल्स की संख्या 71 हजार 128 है. इसी प्रकार 8 हजार 504 नशे के टीके बरामद किए गए हैं. साढ़े 53 क्विंटल पोस्त भी बरामद किया गया है. पिछले एक साल में नशे की बरामदगी को पंजाब पुलिस 154.76 करोड़ रुपये का मानती है.

कोई भी जिला ऐसा नहीं जहां नशा की बिक्री न हो

पुलिस के आंकड़ें बताते हैं कि प्रदेश भर में ऐसा कोई भी जिला नहीं है, जहां नशे की बिक्री न हो रही हो. पिछले एक साल में प्रदेश भर में से 5350.67 किलोग्राम पोस्त बरामद किया गया है. इसमें सबसे ज्यादा बरामदगी होशियारपुर जिले से है. होशियारपुर जिले से 831.5 किलोग्राम पोस्त बरामद किया गया है. जबकि बठिंडा से एक क्विंटल 33 किलोग्राम पोस्त की बरामदगी हुई है. बरनाला ऐसा जिला है, जहां से सबसे कम मात्रा में पोस्त मिला.

गोलियों की सबसे ज्यादा बरामदगी मानसा से

नशे की गोलियों की बरामदगी में मानसा जिला पहले स्थान पर है. मानसा एकमात्र ऐसा जिला है, जहां से 13,23,765 नशे की गोलियां बरामद की गई हैं. बठिंडा पुलिस ने एक साल में 2,43,514 नशे की गोलियां बरामद की हैं. पूरे प्रदेश से 19,64,250 नशे की गोलियां बरामद की गई हैं, लेकिन अकेले मानसा जिले से ही 63 फीसद गोलियां बरामद हुई हैं.

सबसे ज्यादा हेरोइन फिरोजपुर से पकड़ी

पंजाब पुलिस ने सबसे ज्यादा हेरोइन साढ़े 14 किलोग्राम फिरोजपुर जिले से बरामद की है. जालंधर हेरोइन की बरामदगी में दूसरे स्थान पर रहा है. जालंधर पुलिस ने 11 किलो 10 ग्राम हेरोइन बरामद की है. तरनतारन पुलिस ने 10 किलो 35 ग्राम हेरोइन इस साल में बरामद की है.

आचार संहिता के दौरान करोड़ों रुपये का ड्रग्स जब्त

प्रदेश में बीते 10 मार्च को आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद से पंजाब में अब तक 9680 किलो ड्रग्स पकड़ी गई. जिनकी कीमत चुनाव आयोग द्वारा 219 करोड 82 लाख रुपये आंकी गई. इसके अलावा चुनाव आयोग ने राज्य में 10 करोड 95 लाख रुपये की 13.95 लाख लीटर शराब भी बरामद की.
ऐसे में पंजाब में कुल 230 करोड रुपये का नशा पकड़ा गया.

25 हजार से ज्यादा लोगों को किया गिरफ्तार

सरकार दावा कर रही है कि एनडीपीएस एक्ट के 21,049 मामलों में 25,092 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.