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पंजाब में दलित की मौत मामले की राष्ट्रीय, राज्य स्तर के अनुसूचित जाति आयोग करेंगे जांच

पंजाब में निर्ममतापूर्वक पिटाई और मूत्र पीने के लिए विवश किए गए 37 वर्षीय दलित जगमेल सिंह की मौत के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) और उसके राज्य के समकक्ष द्वारा संयुक्त रूप से जांच की जाएगी.

Updated on: 20 Nov 2019, 08:02 AM

चंडीगढ़:

पंजाब में निर्ममतापूर्वक पिटाई और मूत्र पीने के लिए विवश किए गए 37 वर्षीय दलित जगमेल सिंह की मौत के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) और उसके राज्य के समकक्ष द्वारा संयुक्त रूप से जांच की जाएगी. दोनों आयोगों ने मंगलवार को संयुक्त जांच करने के फैसला किया. इसके साथ ही पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री ने भी इस बात की जांच के आदेश दिए कि क्या जब जगमेल सिंह को सरकारी अस्पताल लाया गया था तो इलाज में लापरवाही बरती गयी थी. सिंह ने चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) में शनिवार को दम तोड़ दिया था.

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डॉक्टरों ने बताया कि संक्रमण के कारण उसके पैर काटने पड़े थे. उसका मंगलवार को चंगालीवाला गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया जहां बड़ी संख्या में लोग और स्थानीय नेता दिवंगत के अंतिम संस्कार में शामिल हुए. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने सोमवार को मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय दल का गठन किया था.

पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग की चेयरपर्सन तेजिंदर कौर के हवाले से एक बयान में कहा गया कि जांच ‘‘संयुक्त रूप से’’ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति निकाय के साथ की जाएगी. समिति ने संगरूर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मामले की व्यापक रिपोर्ट मांगी है.

चंडीगढ़ में पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) अनुराग अग्रवाल से इस बात की जांच करने के लिए कहा है कि क्या पीड़ित को इलाज मुहैया कराने में कोई देरी की गयी. एक बयान में कहा गया है कि प्रधान सचिव को तीन दिनों में रिपोर्ट देने के लिए कहा है.

मीडिया में आ रही खबरों में स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है कि जगमेल सिंह को शुरुआत में एक सरकारी अस्पताल ले जाया गया जहां मेडिकल अधिकारी पर अपनी ड्यूटी सही तरीके से न निभाने का आरोप है. कुछ खबरों के अनुसार, उसने चिकित्सा-कानूनी रिपोर्ट नहीं सौंपी.

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विभाग ने कहा कि अब डॉक्टर की भूमिका की जांच की जाएगी. गौरतलब है कि चांगलीवाला गांव के रहने वाले इस दलित व्यक्ति का 21 अक्टूबर को रिंकू नाम के व्यक्ति और कुछ अन्य व्यक्तियों के साथ विवाद हुआ था, लेकिन ग्रामीणों के हस्तक्षेप से मामला सुलझ गया था. इसके बाद सात नवंबर को रिंकू ने उसे अपने घर बुलाया और इस मामले को लेकर उससे बहस की और उस दौरान चार लोगों ने उसे एक खंभे से बांधकर लोहे की छड़ से पीटा और जब उसने पानी मांगा, तो उसे मूत्र पीने के लिए मजबूर किया गया.

सोमवार को पंजाब सरकार के आश्वासन के बाद जगमेल के परिजन ने विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया . प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने जगमेल के परिवार को 20 लाख रुपये का मुआवजा, उसकी विधवा को सरकारी नौकरी तथा तीनों बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अश्वासन दिया था.

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राज्य सरकार ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पद के अधिकारी से इसकी जांच कराने की भी घोषणा की. पंजाब के मंत्री विजय इंदर सिंगला और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता राजिंदर कौर भट्ठल अंतिम संस्कार में शामिल हुए. जगमेल के नाबालिग बेटे ने चिता को मुखाग्नि दी.