logo-image

स्पीकर को इस्तीफा स्वीकार करना ही होगा, सुप्रीम कोर्ट में बोले बागी विधायकों के वकील

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 10 विधायकों की अर्जी पर पहले सुनवाई कर रही है. बागी विधायकों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत को बताया कि अध्यक्ष को सिर्फ यह तय करना है कि इस्तीफा स्वैच्छिक है या नहीं

Updated on: 16 Jul 2019, 12:43 PM

नई दिल्ली:

कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन के 10 बागी विधायकों ने मंगलवार को कोर्ट से कहा कि उनका इस्तीफा स्वीकार करना ही होगा क्योंकि मौजूदा राजनीतिक संकट से उबरने का अन्य कोई तरीका नहीं है और विधानसभा अध्यक्ष सिर्फ यह तय कर सकते हैं कि इस्तीफा स्वैच्छिक है या नहीं.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 10 विधायकों की अर्जी पर पहले सुनवाई कर रही है. बागी विधायकों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत को बताया कि अध्यक्ष को सिर्फ यह तय करना है कि इस्तीफा स्वैच्छिक है या नहीं. रोहतगी ने कोर्ट से कहा, 'इस्तीफा स्वीकार करना ही होगा, उससे निपटने का और कोई तरीका नहीं है.'  उन्होंने कहा, 'मैं जो भी करना चाहता हूं, वैसा कर सकूं यह मेरा मौलिक अधिकार है और अध्यक्ष द्वारा मेरा इस्तीफा स्वीकार नहीं किए जाने को लेकर मुझे बाध्य नहीं जा सकता है.'

यह भी पढ़ें: Karnataka Crisis Live Updates: बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी की दलीलें पूरी, अब सिंघवी रखेंगे पक्ष

उन्होंने कहा कि कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत होना है और बागी विधायकों को इस्तीफा देने के बावजूद व्हिप का पालन करने पर मजबूर होना पड़ सकता है. रोहतगी ने शीर्ष अदालत को बताया कि 10 विधायकों ने छह जुलाई को इस्तीफा दिया और अयोग्यता की कार्यवाही दो विधायकों के खिलाफ लंबित है.

इस पर न्यायालय ने पूछा कि 'आठ विधायकों के खिलाफ अयोग्यता प्रक्रिया कब शुरू हुई'. रोहतगी ने कहा कि उनके खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही 10 जुलाई को प्रारंभ हुई. सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक के राजनीतिक संकट की जड़ बने 15 बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई चल रही है. इसमें शीर्ष अदालत कांग्रेस - जद (एस) गठबंधन सरकार के 15 विधायकों के इस्तीफे और उन्हें अयोग्य घोषित करने से जुड़े गूढ़ संवैधानिक विषय पर विचार करेगी.

न्यायालय ने कर्नाटक में कांग्रेस के पांच और बागी विधायकों की याचिका पर पहले से लंबित 10 विधायकों की याचिका के साथ ही सुनवाई करने पर सोमवार को सहमति देते हुये कहा था कि सभी मामलों में मंगलवार को सुनवाई की जायेगी. ये बागी विधायक चाहते हैं कि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष को उनके इस्तीफे स्वीकार करने का निर्देश दिया जाये. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के इस आग्रह पर विचार किया कि इन्हें भी पहले से लंबित उस याचिका में पक्षकार बना लिया जाये जिस पर मंगलवार को सुनवाई होनी है.

कर्नाटक से कांग्रेस के पांच बागी विधायकों ने 13 जुलाई को शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि विधानसभा अध्यक्ष उनके त्यागपत्र स्वीकार नहीं कर रहे हैं. इन विधायकों में आनंद सिंह, के सुधाकर, एन नागराज, मुनिरत्न और रोशन बेग शामिल हैं.

यह भी पढ़ें: कर्नाटक का सियासी नाटक: 18 जुलाई को होगा कुमारस्वामी सरकार का शक्ति परीक्षण

शीर्ष अदालत ने 12 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार को कांग्रेस और जद (एस) के बागी विधायकों के इस्तीफे और उन्हें अयोग्य घोषित करने के लिये दायर याचिका पर 16 जुलाई तक कोई भी निर्णय लेने से रोक दिया था.

इन दस बागी विधायकों में प्रताप गौडा पाटिल, रमेश जारकिहोली, बी बसवाराज, बी सी पाटिल, एस टी सोमशेखर, ए शिवराम हब्बर, महेश कुमाथल्ली, के गोपालैया, ए एच विश्वनाथ और नारायण गौडा शामिल हैं. इन विधायकों के इस्तीफे की वजह से कर्नाटक में एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के सामने विधानसभा में बहुमत गंवाने का संकट पैदा हो गया था.