logo-image

सरकार और बोडो संगठन के चार समूहों के बीच समझौते के बाद छोड़ी बोडोलैंड की मांग

नेशनल डेमोक्रेटिक फेडरेशन ऑफ बोडोलैंड (NDFB) की अगुवाई में अलग राज्य की मांग की जा रही थी, लेकिन सरकार की ओर से सख्त रुख अख्तियार करने के बाद तस्वीर पूरी तरह से बदल गई.

Updated on: 28 Jan 2020, 09:33 AM

नई दिल्ली:

सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम सरकार के साथ NDFB ने समझौता किया, जिसके तहत अब बोडोलैंड की मांग नहीं की जाएगी. नेशनल डेमोक्रेटिक फेडरेशन ऑफ बोडोलैंड (NDFB) की अगुवाई में अलग राज्य की मांग की जा रही थी, लेकिन सरकार की ओर से सख्त रुख अख्तियार करने के बाद तस्वीर पूरी तरह से बदल गई.

यह भी पढ़ें- Madhya Pradesh Panchayat Election2020: पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण प्रकिया शुरू

समझौते के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अब कोई बोडो उग्रवादी नहीं है, वे सभी हमारे भाई हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनेवाल की मौजूदगी में एनडीएफबी ने समझौते पर हस्ताक्षर किया. अमित शाह ने कहा कि बोडो उग्रवादियों पर दर्ज मुकदमों की समीक्षा की जाएगी. गृहमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो संगठन के चार समूहों के बीच समझौता हुआ है, और यह असम के सुनहरे भविष्य का दस्तावेज है. असम सरकार जल्द ही बोडो भाषा को राज्य की एक सह-आधिकारिक भाषा के रूप में देवनागरी लिपि में अधिसूचित करेगी.

समझौते में शामिल पक्ष में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल, एबीएसयू, एनडीएफबी का गोविंदा बासूमातरी घटक, एनडीएफबी का धीरेंद्र बोड़ा घटक, एनडीएफबी का रंजन दायीमारी घटक, एनडीएपएभी का सरायगारा घटक, यूनाइटेड बोडो पीपुल्स संगठन .

खास है बातें...

पिछले पांच साल में पूर्वोत्तर में अलग-अलग प्रतिबंधित संगठनों के महत्वपूर्ण सदस्य या तो आत्मसमर्पण कर चुके हैं या फिर गिरफ्तार हो चुके हैं. आज समझौते में जो बोडो संगठन शामिल हुए हैं, वो असम में अंतिम सक्रिय गुटों में से एक हैं.

इस समझौते के बाद भारत सरकार को उम्मीद है कि एक संवाद और शांति प्रकिया के तहत उग्रवादियों का मुख्य धारा में शामिल करने का सिलसिला शुरू होगा.

पिछले एक महीने में पूर्वोत्तर समस्या से जुड़े तीन बड़े और ऐतिहासिक समझौते भारत सरकार ने किए हैं. इसमें त्रिपुरा में 80 सशस्त्र आतंकियों का समर्पण, मिजोरम-त्रिपुरा के बीच ब्रू रियांग शरणार्थियों को स्थायी निवास देना और अब बोडो शांति समझौता होना शामिल है.

इस समझौते के तहत इस गुट के सदस्यों को आर्थिक मदद भी सरकार की तरफ से मुहैया करवाई जाएगी, इसकी मांग ये गुट पिछले कई दिनों से कर रहा था.