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संजय राउत के सिर सज सकता है महाराष्‍ट्र का ताज, अगर...

चर्चा है कि उद्धव और आदित्‍य ठाकरे के मुख्‍यमंत्री नहीं बनने की स्‍थिति में शिवसेना के वरिष्‍ठ नेता संजय राउत महाराष्‍ट्र के नए मुख्‍यमंत्री हो सकते हैं.

Updated on: 22 Nov 2019, 11:03 AM

नई दिल्‍ली:

महाराष्‍ट्र (Maharashtra) की सियासत पल-पल नई करवट ले रही है. विधानसभा चुनाव परिणाम (Assembly Election Results) आने के बाद शिवसेना (Shiv Sena) ढाई-ढाई साल मुख्‍यमंत्री को लेकर बीजेपी से मोलभाव करती रही और बात नहीं बनी तो एनडीए (NDA) से अलग हो गई. राज्‍यपाल ने पहले बीजेपी (BJP), फिर शिवसेना (Shiv Sena) और बाद में एनसीपी (NCP) को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया. जब तीनों दल सरकार नहीं बना पाए तो राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन (President Rule) लागू हो गया. उसके बाद से लगातार सरकार बनाने को लेकर खिंचड़ी पक रही है. अब कांग्रेस और एनसीपी के बीच शिवसेना के नेतृत्‍व वाली सरकार को समर्थन देने का मन बना लिया है. अब देखना है कि महाराष्‍ट्र का मुख्‍यमंत्री (Chief Minister of Maharashtra) कौन बनेगा?

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विधानसभा चुनाव के दौरान शिवसेना की ओर से उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्‍य ठाकरे को मुख्‍यमंत्री बनाने की मांग वाले बैनर-पोस्‍टर पूरी मुंबई में लगाए गए थे. विधानसभा का चुनाव परिणाम आने के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा था, मैंने बाला साहब ठाकरे को वादा किया था कि एक दिन ठाकरे परिवार का सदस्‍य मुख्‍यमंत्री बनेगा. अब एनसीपी और कांग्रेस की ओर से समर्थन लेने की स्‍थिति में आदित्‍य ठाकरे को मुख्‍यमंत्री पद मिलना असंभव प्रतीत हो रहा है. एनसीपी और कांग्रेस के नेता कतई नहीं चाहेंगे कि आदित्‍य ठाकरे जैसे नए नेता के नेतृत्‍व में वे काम करें. ऐसे में उद्धव ठाकरे मुख्‍यमंत्री पद की स्‍वाभाविक पसंद होंगे.

अब मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्‍यमंत्री बनने के इच्‍छुक नहीं हैं. आदित्‍य ठाकरे को लेकर एनसीपी और कांग्रेस के नेता राजी नहीं होंगे तो सवाल उठता है कि महाराष्‍ट्र का अगला मुख्‍यमंत्री कौन होगा? चर्चा है कि उद्धव और आदित्‍य ठाकरे के मुख्‍यमंत्री नहीं बनने की स्‍थिति में शिवसेना के वरिष्‍ठ नेता संजय राउत महाराष्‍ट्र के नए मुख्‍यमंत्री हो सकते हैं.

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अगर ऐसा होता है तो यह संजय राउत के लिए बिन मांगी मुराद साबित होगी. क्‍योंकि परिवारवादी राजनीति करने वाली शिवसेना कहती रही है कि वो बाला साहब ठाकरे के सपनों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जाएगी... और गई भी. शिवसेना ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया. एनडीए से अलग हो गई. मोदी सरकार के एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने इस्‍तीफा दे दिया. फिर भी अगर शिवसेना बाला साहब के सपनों को पूरा नहीं कर पाई तो शायद ही कभी पूरा कर पाए.

यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस ठाकरे परिवार को मुख्‍यमंत्री पद दिए जाने के पक्ष में नहीं है. अगर यह सच है तो यह शिवसेना के लिए बड़ा झटका साबित होगा. दूसरी ओर, संजय राउत को बीजेपी के खिलाफ आक्रामक होने का इनाम मिल जाएगा. महाराष्‍ट्र में बीजेपी की सरकार और केंद्र में मोदी सरकार के खिलाफ संजय राउत लगातार आग उगलते रहे हैं. सामना में लेख के बहाने वे मोदी और फड़णवीस सरकार की नीतियों की लगातार धज्‍जियां उड़ाते रहे हैं. यहां तक कि जो काम कांग्रेस विपक्ष में रहते नहीं कर पाई, वो काम शिवसेना ने संजय राउत के बहाने सत्‍तापक्ष के साथ रहते कर दिखाया.

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विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद भी संजय राउत ही शिवसेना के ऐसे नेता रहे, जो लगातार बीजेपी के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करते रहे. ट्वीट के गोले छोड़ते रहे और उससे बीजेपी असहज होती रही. संजय राउत का यह काम कांग्रेस को पसंद न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता. अब शुक्रवार शाम को ही तय होगा कि आखिरकार महाराष्‍ट्र का ताज किसके सिर सजेगा, लेकिन फिलहाल संजय राउत की बांछें तो खिल ही गई होंगी.